Kalyan Banerjee Mimicry Case: संसद सेक्यूरिटी ब्रीच मामले के बाद विपक्ष हमलावर है, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों की मांग थी कि इस विषय पर गृहमंत्री अमित शाह को बयान देने में आखिर परेशानी ही क्या है. वो सदन के बाहर इस विषय पर बोल सकते हैं तो सदन में बोलने में क्या दिक्कत है, हालांकि इस विषय पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार का पक्ष रख दिया. लेकिन सदन की कार्यवाही में खलल पड़ती रही. विपक्षी सांसदों के इस व्यवहार पर लोकसभा और राज्यसभा से अलग अलग दलों के सांसदों को निलंबित भी किया गया. लेकिन मंगलवार 19 दिसंबर को नए संसद के मकर द्वार पर जो कुछ हुआ उसे लेकर सियासत गरमा गई है. टीएमसी सांसद कल्यान बनर्जी ने विपक्षी सांसदों की मौजूदगी में राज्यसभा के सभापति की मिमिक्री की. उनकी मिमिक्री पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा भी था कि कुछ मर्यादा तो बनी रहनी चाहिए. इन सबके बीच हम बताएंगे कि कल्यान बनर्जी कौन हैं.


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पहले वकील फिर बने नेता
1957 में पश्चिम बंगाल के आसनसोल में कल्यान बनर्जी का जन्म हुआ था. उनकी पढ़ाई लिखाई बांकुरा के समिलानी और रांची कॉलेज से हुई थी. कानून की शिक्षा हासिल करने के बाद 1981 से कोलकाता हाइकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की. प्रैक्टिस के दौरान ही उनके विचार भाव में बदलाव आया और सक्रिय राजनीति में भागीदारी का फैसला किया. टीएमसी का हिस्सा बनने से पहले वो पश्चिम बंगाल यूथ कांग्रेस के लीगल विंग के हिस्सा थे और 1991-97 के दौरान पश्चिम बंगाल यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष बने. लेकिन उसी दौर में जब कांग्रेस से अलग हो ममता बनर्जी खुद के लिए जमीन तैयार करने में जुटीं तो 1998 में एक बड़े फैसले में कांग्रेस को छोड़ दिया और टीएमसी के महासचिव बने.



इस तरह ममता के बने चहेते


2000 तक पश्चिम बंगाल में टीएमसी जगह बनाने में कामयाब हो चुकी थी और उसका फायदा कल्यान बनर्जी को भी मिला. 2001-2006 में वो विधायक रहे. सियासी सड़क पर उनका सफर सरपट दौड़ रहा था. 2007-09 के दौराम टीएमसी के उपाध्यक्ष बनाए गए और 2009 में पहली बार लोकसभा के सदस्य बने. 2009 का चुनाव उनके लिए इसलिए भी खास रहा क्योंकि सीपीएम के दिग्गज संतश्री चटर्जी को परास्त किया था. जीत का कारवां आगे बढ़ता रहा. 2014 में सीपीएम के ही कद्दावर नेता तीर्थंकर रे को हराया और 2019 में भी सेरामपुर से जीत दर्ज की. कल्यान बनर्जी संसद की कई समितियों के सदस्य भी रहे हैं.