Adipurush Total Collection: फिल्म 'आदिपुरुष' को लेकर लोगों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. इसको रिलीज हुए भले ही 10 दिन हो चुके हैं लेकिन संवादों पर अभी तक निर्माता-निर्देशकों को खरी-खरी सुननी पड़ रही है. अब इस फिल्म के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दर्ज की गई है. वकील कुलदीप तिवारी की इस याचिका पर सोमवार (26 जून) को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने न सिर्फ फिल्म के निर्माता-निर्देशक बल्कि सेंसर बोर्ड को भी जमकर लताड़ लगाई.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

याचिका दायर करने वाले वकील कुलदीप तिवारी ने एक बयान जारी किया.इसमें उन्होंने बताया कि विवादित फिल्म आदिपुरुष को लेकर आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई हुई, जिसमें फिल्म के निर्माता-निर्देशक समेत सेंसर बोर्ड के भी फटकार लगी.


क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड?


वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने बहस के दौरान अपना पक्ष रखते हुए फिल्म में दिखाए गए आपत्तिजनक तथ्यों और संवाद के बारे में अदालत को बताया. 22 जून को पेश अमेंडमेंट एप्लीकेशन को अदालत ने मंजूर करते हुए सेंसर बोर्ड की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी सिंह से पूछा कि क्या करता रहता है सेंसर बोर्ड? सिनेमा समाज का दर्पण होता है, आगे आने वाले पीढ़ियों को क्या सिखाना चाहते हो? क्या सेंसर बोर्ड अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझता है?


कोर्ट ने यह भी कहा कि सिर्फ रामायण ही नहीं बल्कि पवित्र कुरान, गुरु ग्रन्थ साहिब और गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों को तो कम से कम बख्श दीजिए बाकी जो करते हैं वो तो कर ही रहे हैं.


कोर्ट ने फिल्म के निर्माता, निर्देशक समेत अन्य प्रतिवादी पार्टियों की कोर्ट में गैरमौजूदगी पर भी कड़ा रुख दिखाया. वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने सेंसर बोर्ड की ओर से अभी तक जवाब न दाखिल किए जाने पर आपत्ति जताई और कोर्ट को फिल्म के आपत्तिजनक तथ्यों के बारे में बताया.


फिल्म में कई आपत्तिजनक तथ्य


रावण के चमगादड़ को मांस खिलाए जाने, सीता जी को बिना ब्लाउज के दिखाये जाने, काले रंग की लंका, चमगादड़ को रावण का वाहन बताए जाने, सुषेन वैद्य की जगह विभीषण की पत्नी को लक्ष्मण जी को संजीवनी देते हुए दिखाना, आपत्तिजनक संवाद व अन्य सभी तथ्यों को कोर्ट में रखा गया जिस पर कोर्ट ने सहमति जताई. सुनवाई की अगली तारीख मंगलवार यानी 27 जून को होगी.