अब बिना खौफ सरकारी कर्मचारी RSS के प्रोग्राम में जाएं, BJP सरकार ने बदल दिया 58 साल का कानून
Govt employees participating in RSS activities: अब RSS के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे सरकारी कर्मचारी, मोदी सरकार ने पलटा 58 साल पुराना आदेश. जानें पूरा मामला.
RSS Activities by Govt Employees राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में अब सरकारी कर्मचारी भी भाग ले सकेंगे. केंद्र सरकार ने 58 साल पुराने प्रतिबंध को हटा लिया है. गृह मंत्रालय ने सरकारी कर्मचारियों के शाखा में शामिल होने पर प्रतिबंध हटाने का आदेश अपलोड किया है. गृह मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर प्रतिबंध हटाने के आदेश की कॉपी अपनी आधिकारिक वेबसाइट के होम पेज पर अपलोड कर दी है. गृह मंत्रालय ने 26 जुलाई को यह आदेश जारी किया था, जिसकी कॉपी अब अपलोड की गई है.
कब लगा था बैन
साल 1966 में तब की सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया था. उस दौरान कर्मचारियों को सख्त हिदायत दी गई थी, अगर वह कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तो कार्रवाई के लिए तैयार रहें. मोदी सरकार ने 58 साल पुराने इस प्रतिबंध को हटा दिया है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में लिखा कि सरदार पटेल ने गांधीजी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद, अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया. इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया. 1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था और यह सही भी था. 9 जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया है.
9 जुलाई को आया आदेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा 9 जुलाई को जारी एक आदेश साझा किया, जो RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी से संबंधित है. इस आदेश में कहा गया है, ‘उपर्युक्त निर्देशों की समीक्षा की गई है और यह निर्णय लिया गया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उल्लेख हटा दिया जाए.’
संघ ने किया स्वागत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने एक बयान में कहा था कि अपने राजनीतिक स्वार्थों के चलते तत्कालीन सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को संघ जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने के लिए निराधार ही प्रतिबंधित किया गया था. शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है.