जी हां..भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी...। अपनी आवाज से इन शब्दों में जादू भर देने वाले अमीन सयानी जब रेडियो पर बिनाका गीतमाला शुरु करते थे. तो हर बुधवार रात आठ बजे वक्त जैसे थम जाता था और लोग रेडियो के सामने सांसें थामकर बैठ जाते थे.


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42 साल तक अपनी जानदार आवाज और शानदार अंदाज से लोगों को रेडियो का दीवाना बनाने वाले अमीन सयानी ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. रेडियो किंग अमीन सयानी का निधन हो गया है. वो 91 वर्ष के थे. मंगलवार रात को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. उनका अंतिम संस्कार गुरुवार को किया जाएगा.


अमीन सयानी का जाना..रेडियो की दुनिया में एक युग का अंत है. क्योंकि एक दौर था..जब अमीन सयानी रेडियो की आवाज थे. और रेडियो का मतलब ही अमीन सयानी था. रेडियो पर उनसे अच्छी और उनसे जिंदादिल आवाज ना पहले हुई और ना बाद में. आजादी के बाद रेडियो और आम लोगों का जो रिश्ता बना, उस रिश्ते की एक मजबूत डोर थी अमीन सयानी की आवाज और उनका दिल छू लेने वाला अंदाज.


अमीन सयानी ने अपना करियर English Broadcaster के तौर पर शुरु किया था. आजादी के बाद जब वर्ष 1952 में अमीन, रेडियो सीलोन से जुड़े. जहां उनके कार्यक्रम बिनाका गीतमाला ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. बिनाका गीतमाला भारतीय फिल्म संगीत का सबसे पहला संगीत काउंटडाउन शो था. जिसमें हफ्ते के Top-7 फिल्मी गीत सुनाए जाते थे. लेकिन लोग..गीतों से ज्यादा अमीन सयानी की आवाज सुनने के लिए बेकरार रहा करते थे. रेडियो सिलोन पर लोग इंतजार करते थे कि कब गीत खत्म हो और उन्हें अमीन सयानी की आवाज सुनने को मिले.


ये अमीन साहब की आवाज का जादू ही था जिसने बिनाका गीतमाला को कम समय में ही पहचान दिलाई थी. बिनाका गीतमाला लगभग 42 साल तक चला...और अमीन सयानी इसकी आवाज बने रहे.


अमीन सयानी के नाम पर 54 हजार से ज्यादा रेडियो कार्यक्रम Produce..Compose और Voice Over का रिकॉर्ड दर्ज है. लगभग 19 हजार Jingles के लिए आवाज देने के लिए भी अमीन सयानी का नाम Limca Book Of World Record में दर्ज है. रेडियो की दुनिया में कई ऐसे लोग आए जिन्होंने अमीन के अंदाज को Copy करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए...क्योंकि अमीन तो सिर्फ एक ही थे.  


अमीन सयानी ने एक इंटरव्यू में गीतमाला कार्यक्रम की सफलता का राज बताया था.
उन्होंने कहा था -


मैं चाहता था कि हर सुनने वाले को ऐसा लगे कि मैं उससे ही बात कर रहा हूं. और, यही बात उन लोगों पर असर कर गई. इसने आश्चर्यजनक तौर पर Radio Presentation में क्रांति ला दी. मुझे उम्मीद नहीं थी कि आने वाले दिनों में ये अंदाज लोगों के लिए बेमिसाल हो जाएगा. ये रेडियो सिलोन के साथ मेरा रोमांस था.


लेकिन रेडियो उनका पहला प्यार नहीं था. क्योंकि अमीन सयानी बचपन से Play Back Singer बनना चाहते थे. उन्होंने चार साल क्लासिकल म्यूजिक भी सीखा था. अमीन ने एक इंटरव्यू में बताया था कि...


मैं एक ज़माने में बहुत अच्छा गाया करता था. फिर एक जमाना आया जब मेरी आवाज फट गई और गाना जरा मुश्किल हो गया. जब भी मैं गाने बैठता तो कोई दोस्त आकर कहता कि बेसुरे, क्यों बोर करता है.


भारी आवाज की वजह से अमीन साहब की गायक बनने की ख्वाहिश तो पूरी नहीं हो पाई. लेकिन रेडियो पर उनकी आवाज आज भी सब पर भारी है.


रेडियो की दुनिया में अपने योगदान के लिए अमीन सयानी को कई बड़े व प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए. वर्ष 2009 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इसके अलावा वर्ष 2006 में Living Legend Award..1992 में Limca Book Of Records की तरफ से Person Of The Year Award भी मिला.


लेकिन अमीन सयानी को मिला सबसे बड़ा सम्मान था लोगों का प्यार. अमीन सयानी देश के ऐसे पहले Radio Star थे...जिनका बड़े-बड़े Film Stars भी सम्मान करते थे. भारतीय सिनेमा के सौ वर्ष पूरे होने पर ज़ी न्यूज़ ने अमीन सयानी का इंटरव्यू किया था. आज हमने Zee News की लाइब्रेरी से अमीन साहब के उस दुर्लभ इंटरव्यू का एक अंश निकाला है..जो अब हम आपको दिखाना चाहते हैं...


अमीन सयानी भले ही अब दुनिया में ना हों..लेकिन जब जब...जी हां, भाईयों और बहनों..सुनाई देगा..अमीन सयानी की यादें जिंदा रहेंगी. उनकी यही स्वर्णिम विरासत...उन्हें अमर बनाती है. ज़ी न्यूज़ की तरफ से रेडियो की आवाज के बेताज बादशाह को श्रद्धांजलि.