नई दिल्ली: भारत (India) ने एक बार फिर यह साफ किया है कि वो मौजूदा संकट में फ्रांस (France) के साथ खड़ा है. साथ ही भारत ने आतंकवाद और कट्टरपंथ का समर्थन करने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई का आह्वान भी किया है. 


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सबसे डरावना रूप
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ‘नई दिल्ली ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि आतंकवाद और उसे जन्म देने वाला कट्टरपंथ सेंसरशिप का सबसे डरावना रूप है. यह हमारी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और हमारे साझा गणतंत्रवादी आदर्शों के लिए खतरा है. पेरिस और नीस में जो कुछ हुआ, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. भारत इस लड़ाई में फ्रांस के साथ है’.


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पेरिस में एक युवक ने केवल इसलिए 47 वर्षीय स्कूल शिक्षक सैमुअल पैटी को मौत के घाट उतार दिया था. क्योंकि उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बच्चों को बताते हुए उन्हें पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाया था. इसके बाद नीस शहर में आतंकवादी हमला भी हुआ, जिसमें तीन लोग मारे गए थे.


सब जानते हैं कौन है पीछे 
किसी देश का नाम लिए बिना भारत ने कहा कि ऐसी आतंकी गतिविधियों को किसका समर्थन प्राप्त है, यह सर्वविदित है. लिहाजा, हमें एक समन्वित और निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए. हम इसे स्थगित करने के बारे में नहीं सोच सकते. आपको बता दें कि तुर्की और पाकिस्तान द्वारा फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद भारत फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (Emmanuel Macron) का समर्थन करने वाला पहला गैर-पश्चिमी देश था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस और नीस की घटना की निंदा करते हुए आतंकवाद से लड़ाई में फ्रांस के समर्थन की बात कही थी. उन्होंने शिक्षक की हत्या की निंदा करते हुए कहा था कि किसी भी कारण या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता. 


विदेश सचिव ने कई मुद्दों पर की बात
फ्रांस के घटनाक्रमों के बीच, भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh Shringla) पेरिस की निर्धारित यात्रा पर थे. इस दौरान उन्होंने फ्रांस के विदेश मंत्रालय के महासचिव फ्रैंकोइस डेल्ट्रे (Francois Delattre) और फ्रांसीसी राष्ट्रपति के राजनयिक सलाहकार इमैनुएल बोने (Emmanuel Bonne) से मुलाकात की थी. सूत्रों के बताया कि विदेश सचिव ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त जंग, ग्लोबल वार्मिंग, समुद्री सुरक्षा, सतत विकास, मानदंडों पर आधारित अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे कई मुद्दों पर चर्चा की. महामारी काल में यह विदेश सचिव श्रृंगला की पहली गैर-पड़ोसी देश की यात्रा है. इससे पहले, वे बांग्लादेश और म्यांमार गए थे.


सहयोग बढ़ाने पर जोर
इंडो पैसिफिक पर सूत्रों ने कहा कि भारत और फ्रांस एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझते हैं और दोनों सहयोग बढ़ाने पर जोर देते रहे हैं. यहां यह जानना दिलचस्प है कि फ्रांस ने इंडो पैसिफिक के लिए क्रिस्टोफ पेनोट (Christophe Penot) को दूत नियुक्त किया है. वरिष्ठ राजनयिक पेनोट की आखिरी पोस्टिंग फ्रांस के दूत के रूप में ऑस्ट्रेलिया में हुई थी. वह मलेशिया में भी फ्रांस के दूत रहे हैं और उन्होंने टोक्यो, ओटावा, लंदन, हनोई में सेवाएं प्रदान की हैं.