श्रीनगर : एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कश्मीर में भीड़ को नियंत्रित करने के कदम के तौर पर पैलेट गन के इस्तेमाल पर तत्काल पाबंदी की मांग करते हुए बुधवार को यह भी कहा कि पथराव या अन्य किसी तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने यहां 'लूजिंग साइट इन कश्मीर-इम्पैक्ट ऑफ पैलेट-फायरिंग शॉटगन्स' शीर्षक से रिपोर्ट जारी की और जम्मू कश्मीर सरकार से पैलेट गन के इस्तेमाल से लोगों के मारे जाने या जख्मी होने के मामलों में फौरन, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच शुरू कराने का अनुरोध किया.


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रिपोर्ट में पैलेट से घायल 88 लोगों के नाम
रिपोर्ट में 88 लोगों के नाम दिए गए हैं जो 2014 से 2017 के बीच घाटी में विरोध प्रदर्शनों को रोकने की कोशिश में सुरक्षा बलों द्वारा दागी गई पैलेट से घायल हो गए. रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 31 लोगों की दोनों आंखें चोटिल हो गईं और दो की तो पूरी तरह से आंखों की रोशनी चली गई. इस मौके पर एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के कार्यकारी निदेशक आकार पटेल ने केंद्र और राज्य सरकारों से यह सुनिश्चित करने की मांग की कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों के अनुरूप हथियारों का इस्तेमाल हो.


क्या कहना है आकार पटेल का...
उन्होंने कहा, 'पैलेट गन का इस्तेमाल केवल जम्मू कश्मीर में किया जाता है और भारत में अन्य कहीं नहीं किया जाता. हमने सरकार के साथ इस विषय को उठाया है और उसने हमें आश्वासन दिया है कि अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही उनका इस्तेमाल किया जाएगा. हमें बताया गया कि सरकार समझती है कि पैलेट से बहुत नुकसान हुआ है.'


पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में यह बात कही थी कि कश्मीर में बदलाव गोली या गाली से नहीं आएगा. उन्होंने कहा, 'अगर सरकार वाकई अपने कहे पर कायम है तो उसे पैलेट गनों का इस्तेमाल बंद करा देना चाहिए.'


पटेल ने घाटी में पथराव की घटनाओं की भी निंदा करते हुए संवाददाताओं से बातचीत में कहा, 'हम किसी भी तरह की हिंसा के विरुद्ध हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि अगर लोग पथराव करते हैं तो उन्हें अंधा कर दिया जाए.' उन्होंने कहा कि अगर जांच में किसी तरह के अनुचित बल प्रयोग की बात सामने आती है तो संदिग्धों पर दीवानी अदालत में मुकदमा चलना चाहिए.