Odisha: Chilika झील में इस बार पहुंचे 11.42 लाख से ज्यादा प्रवासी पक्षी, सालाना गणना में खुलासा
चिल्का विकास प्राधिकरण (Chilika Development Authority) के CEO सुशांत नंदा ने बताया, ‘2018-19 में 160 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने से आने वाले पक्षियों की संख्या में इजाफा हुआ है.’ नंदा ने बताया कि नम जमीन का इको सिस्टम बेहद संवेदनशील होता है.
भुवनेश्वर: ओडिशा (Odisha) के चिल्का झील (Chilika Lake) में इस बार 11.42 लाख से अधिक पक्षियों का आगमन हुआ है. चिल्का विकास प्राधिकरण के मुताबिक इस साल खूबसूरत झील में 11.42 लाख से ज्यादा परिंदे आए हैं जबकि बीते साल 11.04 लाख पक्षियों का आगमन हुआ था. पर्यावरण के जानकारों के मुताबिक इकोसिस्टम में सबकी अलग भूमिका है. पक्षियों की संख्या से आर्द्र भूमि (Wet land) के पारिस्थितिक तंत्र की स्थिति का पता चलता है.
प्रवासी पक्षियों की सुरक्षित और पसंदीदा चिल्का झील
चिल्का विकास प्राधिकरण (Chilika Development Authority) के CEO सुशांत नंदा (Sushant Nanda) ने बताया, ‘2018-19 में 160 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने से आने वाले पक्षियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.’ नंदा के मुताबिक, ‘आर्द्र भूमि का पारिस्थितिक तंत्र बहुत संवेदनशील होता है और बहुत कम समय में यहां सामान्य स्थिति बहाल हो गयी. भारत की इस झील को प्रवासी पक्षियों के लिए सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है.
पक्षियों की वार्षिक गणना के बाद आए नतीजे
मंगलवार को पक्षियों की गणना से पता चला है Odisha में इस बार करीब 38 हजार ज्यादा पक्षियों की आमद हुई है. नंदा ने कहा कि पिछले साल 184 प्रजाति के पक्षियों का आगमन हुआ था, जबकि 2021 में 190 प्रजाति के परिंदों का आगमन हुआ है. चिल्का झील में इस बार सबसे ज्यादा पक्षी आए हैं.
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एशिया महाद्वीप में इसलिए मशहूर है चिल्का झील
चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है. वहीं चिल्का एशिया (Asia) में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है. यह इस बार आए 190 प्रजाति के पक्षियों में 111 अलग-अलग देशों से आए प्रवासी परिंदे हैं, जबकि 79 भारतीय प्रजाति के पक्षी हैं. चिल्का वन्यजीव खंड के डिविजनल वन अधिकारी (DFO) केदार कुमार स्वैन ने बताया कि नालाबना पक्षी अभयारण्य में 18,000 प्रवासी पक्षियों का इजाफा हुआ है.
हजारों किलोमीटर दूर इन देशों से आते हैं प्रवासी पक्षी
प्रवासी पक्षियों में बत्तखों की दो नई प्रजातियां फाल्केटेड टील और मलार्ड भी शामिल हैं. इन्हें मंगलाजोड़ी सेक्टर में पक्षियों की गणना के दौरान देखा गया. चिल्का वन्यजीव डिवीजन के तहत तांगी, बालुगांव, रंभा, सातपाड़ा और चिल्का में पक्षियों की वार्षिक गणना होती है. उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों में अधिकतर रूस, मंगोलिया, साइबेरिया, मध्य एवं दक्षिण पूर्व एशिया, कैस्पियन सागर, लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों से होते हैं, जो हर साल चिल्का आते हैं.
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