नई दिल्ली: पीएनबी घोटाले के आरोपी भगोड़ा हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को लेकर कैरेबियाई देश डोमेनिका की स्थानीय कोर्ट सुनवाई करेगी और फैसला करेगी कि उसे वापस एंटीगुआ भेजा जाए या भारत को कस्टडी मिले. इस बीच एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन (Gaston Browne) की एक चिट्ठी सामने आई है, जिससे खुलासा हुआ है कि मेहुल ने नागरिकता से संबंधित जानकारी छिपाई थी.


Zee News के पास है एंटीगुआ पीएम की चिट्ठी


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Zee News के पास एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन (Gaston Browne) द्वारा मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को 14 अक्टूबर 2019 को लिखी गई चिट्ठी की प्रति है. इस चिट्ठी में कहा गया है कि मेहुल चोकसी ने तथ्यों को छुपाया और अपने मामले को गलत तरीके से प्रस्तुत किया.


लीगल टीम डोमिनिका की कोर्ट में पेश कर सकती है चिट्ठी


भारत सरकार लगातार मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को स्वदेश लाने की कोशिश में लगी है. इसके लिए 8 काबिल अफसरों को बिजनेस प्लेन से डोमेनिका भेजा है. वैसे सरकार ने इन अफसरों के बारे में कोई खुलासा नहीं किया है, हालांकि कहा जा रहा है कि 8 सदस्यीय लीगल टीम एंटीगुआ प्रधानमंत्री का लेटर डोमिनिका की कोर्ट में पेश कर सकती है.


एंटीगुआ के पीएम ने मेहुल चोकसी से मांगा था जवाब


मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) को लिखे लेटर में एंटीगुआ के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन (Gaston Browne) ने कहा था, 'मैं एंटीगुआ और बारबुडा नागरिकता अधिनियम, कैप 22 की धारा 8 के अनुसार एक आदेश देने का प्रस्ताव करता हूं ताकि आपको सामग्री तथ्यों को जानबूझकर छिपाने के आधार पर एंटीगुआ और बारबुडा की नागरिकता से वंचित किया जा सके.' उन्होंने आगे लिखा था, 'मैं आपको एंटीगुआ और बारबुडा नागरिकता अधिनियम की धारा 10 के तहत जांच करने के आपके अधिकार और इस जांच में अपनी पसंद का कानूनी प्रतिनिधित्व प्राप्त करने के अधिकार की भी सलाह देता हूं. आपको इस नोटिस के प्राप्त होने के एक महीने के भीतर जवाब देना होगा.'



26 मई को डोमेनिका से गिरफ्तार हुआ था मेहुल चोकसी


बता दें कि 23 मई को एंटीगुआ में मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसके बाद उसकी तलाश का लुक आउट नोटिस जारी किया गया था. वहीं, 26 मई को चोकसी को डोमेनिका में गिरफ्तार किया गया. 28 मई को डोमेनिका की अदालत ने चोकसी की याचिका का स्वीकार करते हुए सुनवाई पूरी होने तक उसे देश में ही रखने का आदेश दिया था.


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