Antilia-Mansukh Hiren Case:क्या सचिन वझे ने झूठ बोलकर CM उद्धव ठाकरे को गुमराह किया था?
मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सचिन वझे (Sachin Vaje) के केस में NIA चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. इस मामले में धीरे-धीरे कई परतें खुलती जा रही हैं.
मुंबई: मुंबई पुलिस के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर सचिन वझे (Sachin Vaje) के केस में NIA चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. इस चार्जशीट में उसने मुंबई पुलिस के एक API रैंक के अधिकारी का स्टेटमेंट भी दिया है.
इस अधिकारी ने NIA को बताया है 5 मार्च की रात को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सचिन वझे और API को एंटीलिया मामले में बात करने के लिए वर्षा बंगले पर बुलाया. इसके बाद सचिन वझे और API वर्षा बंगले पर गए. वहां पर उन्हें ATS चीफ जयजीत सिंह और SID चीफ आशुतोष डुमरे भी मिले.
सीएम ठाकरे ने आवास पर ली मीटिंग
कुछ ही समय में वहां पर गृहमंत्री अनिल देशमुख भी आ गए. उस मीटिंग में सीएम ठाकरे ने सचिन वझे से एंटीलिया कांड और मनसुख की मौत के बारे में पूछा. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे जानना चाहते थे कि क्या एंटीलिया कांड के पीछे कोई आतंकी साजिश है.
सचिन वझे ने बताया कि एंटीलिया कांड के पीछे कोई आतंकी साज़िश नहीं लग रही है. मनसुख की मौत को भी सचिन वझे ने आत्महत्या लगना बताया था. हालांकि सचिन वझे ने ये भी कहा कि पोस्टमोर्टेम की रिपोर्ट क्या बताती है, ये देखना चाहिए.
ATS चीफ भी बैठक में थे मौजूद
हालांकि उस वक्त के ATS चीफ जयजीत सिंह ने कहा कि आतंकी साजिश से इनकार नहीं किया जा सकता. मनसुख की मौत की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ़ हो पाएगी. इसके बाद सीएम ने सचिन वझे और जयजीत सिंह को इस मामले में होने वाले अपडेट को उन्हें बताने के लिए कहा.
करीब 40 मिनट की मीटिंग के बाद सभी लोग वहां से निकल गए. मीटिंग से निकलने के बाद सचिन वझे Sachin Vaje) ने इसकी जानकारी तत्कालीन मुंबई CP परमबीर सिंह को दी थी.
इसके बाद 11 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि जिलेटिन कांड की जांच सही दिशा में चल रही है. सीएम ठाकरे ने कहा कि पहले फांसी दे दो और फिर जांच करो, ये सही तरीका नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि ऐसा माहौल बनाया जा रहा है, जैसे सचिन वझे ओसामा बिन लादेन हो.
मुंबई पुलिस के एसीपी ने भी दिया बयान
मुंबई पुलिस के एसीपी रैंक के अधिकारी ने NIA को बताया कि 5 मार्च की सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर ठाणे क्राइम ब्रांच के अधिकारी ने उन्हें जानकारी दी थी कि मनसुख हिरेन लापता हैं. उन्होंने सलाह दी कि इस मामले में मिसिंग कंप्लेंट लिखवाई जाए.
एसीपी ने कहा कि दोपहर करीब 12 बजकर 30 मिनट पर वे मुंबई पुलिस मुख्यालय पहुंचे और इस बात की जानकारी क्राइम ब्रांच के डीसीपी प्रकाश जाधव को दी. उनके केबिन से निकलते ही सीआईयू के एक सिपाही ने बताया कि सचिन वझे ने उन्हें अपने केबिन में बुलाया है.
API ने सचिन वझे को मनसुख के मिसिंग होने की बात बताई. वझे ने कहा कि उसे भी कल रात से मनसुख का भाई फोन कर रहा है. वझे Sachin Vaje) ने यह भी कहा कि मनसुख कल से ही ग़ायब है.
मनसुख हिरेन का शव समुद्र से हुआ बरामद
एसीपी ने बताया, 'हमारे बीच बातचीत हो रही थी कि तभी वझे को एक फ़ोन आया. जिस पर वझे Yes, Ohh Okk जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके बात कर रहा था. फोन कट होने के बाद उसने बताया कि मनसुख का शव ठाणे ग्रीक से बरामद हुआ है. मैंने वझे को पूछा कि उसकी मौत कैसे हुई होगी. उसने बताया कि वो बहुत दबाव में था, शायद आत्महत्या कर ली होगी. इसके बाद वझे ने कहा कि वो CP sir (परमबीर सिंह) को मिलने जा रहा है और इसके बाद वो केबिन से निकल गया.'
एसीपी ने NIA बताया की इसके बाद वो डीसीपी प्रकाश जाधव के पास गया और बताया और फिर दोनो (DCP और ACP ) जोईंट कमिश्नर क्राइम मिलिंद भारम्बे के पास गए और मनसुख की मौत की बात बताई जिसके बाद तीनो इस बात को बताने उस समय के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पास गए.
एसीपी ने अपने बयान में आगे बताया कि जैसे ही वो डीसीपी और ज्वाइंट सीपी, कमिश्नर के केबिन के पास पहुंचा तो देखा कि एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा कमिश्नर के केबिन से बाहर निकल रहा है. उनके साथ वझे भी बाहर निकल रहा था. जिसके बाद हम चारों ने (वझे, DCP जाधव, जॉइंट CP भारम्बे और एसीपी) ने परमबीर सिंह को इस बारे में जानकारी दी.
सीनियर अफसरों के साथ मौके पर पहुंचा वझे
एसीपी ने एनआईए को बताया, 'हमारी बात सुनने के बाद कमिश्नर परमबीर सिंह ने मुझे और वझे Sachin Vaje) को ठाणे जाकर ओर जानकारी इकट्ठा करने को कहा. वझे ने मुझे कहा कि वो कुछ समय तक मेरी सरकारी गाड़ी में आगे चलेंगे. इसके बाद वो अपनी प्राइवेट गाड़ी में आगे बढ़ेंगे क्योंकि मीडिया है और वो उनके सामने प्राइवेट गाड़ी में नहीं बैठना चाहते.'
एसीपी ने कहा, 'इसके बाद आगे चलकर वो अपने प्राइवेट गाड़ी में शिफ़्ट हो गए. मैं उनको फॉलो करते हुए कलवा के अस्पताल पहुंचा. अस्पताल में हम डीसीपी अविनाश आंबुरे से मिले और फिर वझे ने अपना परिचय देकर डॉक्टर से मनसुख के पोस्ट्मॉर्टम को लेकर बातचीत की.'
बयान के अनुसार, 'डॉक्टर ने वझे को बताया कि अभी तक पोस्ट्मॉर्टम शुरू नहीं हुआ है. शरीर पर कोई भी मार्क नहीं दिख रहा है. प्रथम दृष्टया यह मामला आत्महत्या का हो सकता है या फिर स्मधरिंग का. डीसीपी आंबुरे ने बताया कि उनके चेहरे पर मास्क था. जिसके बाद वझे मनसुख के भाई से मिला. भाई ने कहा कि मनसुख डूबकर नहीं मर सकता. उन्हें तैरना आता था. भाई ने यह भी कहा कि उनके शरीर से मूल्यवान वस्तुएं गायब हैं.'
डीसीपी के कहने पर वझे स्पॉट से चला गया
'इसके बाद डीसीपी आंबुरे ने वझे से कहा कि मीडिया खबर चला रही है कि आप यहां पोस्ट्मॉर्टम पर आए हो. इस वजह से असेम्बली में कुछ भी हो सकता है. आप यहां से चले जाओ नहीं तो लॉ एंड ऑर्डर का प्रॉब्लम हो सकता है.'
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'जिसके बाद वझे कहां गया, मुझे पता नहीं. मैंने ज्वॉइंट कमिश्नर मिलिंद भारम्बे और डीसीपी प्रकाश जाधव को फोन पर जानकारी दी. मैं फिर मुंबई पुलिस कमिश्नर ऑफिस आया थोड़ी देर बाद मैं अपने घर जाने के लिए निकला और रास्ते में ही था. तब वझे Sachin Vaje) का फ़ोन आया और उसने मुझे कहा कि हम दोनो को वर्षा बंगले पर जाकर चीफ मिनिस्टर को इस मामले में ब्रीफिंग करना है.'
एसीपी ने कहा, 'मैंने तुरंत इस बात की जानकारी ज्वाइंट कमिश्नर को दी. उन्होंने मुझे वहां जाने और अपडेट देने को कहा. इसके बाद मैं वर्षा बंगले पर पहुंचा.'
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