दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले में फाइनली 177 दिन बाद सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) से 'सुप्रीम' राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने केजरीवाल को 10-10 लाख के बॉन्ड पर जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया है. फैसला सुनाने के दौरान जस्टिस भुइयां की एक सख्त टिप्पणी ने सुर्खियां बटोरी. जस्टिस भुइयां ने कहा, 'सीबीआई को सीजर की पत्नी की तरह संदेह से परे होना चाहिए'. ऐसे में आइए बताते हैं क्या इस फ्रेज का मतलब? और रोमन राजा जूलियस सीजर की पत्नी का वो किस्सा जो एक तरह से केजरीवाल की जमानत देने के काम आया. 


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'CBI को सीजर की पत्नी की तरह संदेह से परे होना चाहिए'


फैसला सुनाने के दौरान सीबीआई को जमकर फटकार लगाई. जस्टिस भुइयां ने कहा, 'सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की धारणा को दूर करना चाहिए और दिखाना चाहिए कि वह पिंजरे से बाहर आजाद होकर काम करने में सक्षम है. सीबीआई को सीजर की पत्नी की तरह एकदम संदेह से परे होना चाहिए, ताकि उसके ऊपर कोई उंगली न उठा सके.' 


'सीजर की पत्नी' का वो किस्सा क्या है?


'सीजर की पत्नी की तरह एकदम संदेह से परे होना चाहिए'इस वाक्यांश का अर्थ ये है कि महत्वपूर्ण सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को गलत काम की उपस्थिति से भी बचना चाहिए. उनका व्यवहार हमेशा संदेह से परे होना चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा किया गया कोई भी कदाचार, या कदाचार की अफवाहें उनके द्वारा रखे गए उच्च पद को कलंकित करती हैं. 


ये फ्रेज महान रोमन राजा जूलियस सीज़र की पत्नी पोम्पिया से जुड़ा है. पोम्पिया 67 ईसा पूर्व से 62 ईसा पूर्व तक रोमन शासक जूलियस सीज़र की दूसरी या तीसरी पत्नी थीं. सीज़र के दरबार में धर्म-कर्म से जुड़ा एक विभाग था. एक बार सीजर की पत्नी पोम्पिया ने अपने आधिकारिक निवास पर देवी बोना डेआ (शुद्धता और प्रजनन क्षमता से जुड़ा) का एक उत्सव आयोजित किया. उस फेस्टिवल में किसी पुरुष को शामिल होने की इजाजत नहीं थी. फिर भी पबलियस क्लोडियस पल्चर नाम का एक शख्स रानी पोम्पिया को लुभाने के इरादे से एक महिला के वेश बनाकर वहां पहुंच जाता है. अनुष्ठान खंडित हो जाता है. क्लोडियस को भी पहचान लिया जाता है. उस पर एक धार्मिक समारोह में बेअदबी का मुकदमा चलाया गया. उस समय इंसाफ करते हुए सीज़र ने कहा, 'मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि वास्तव में उसने मेरी पत्नी के साथ व्यभिचार किया या नहीं? लेकिन फिर भी, मैं पोम्पिया को तलाक देता हूं क्योंकि 'सीज़र की पत्नी को संदेह से ऊपर होना चाहिए.'


कोल'गेट' स्कैम में बीजेपी ने घेरा था


इस फ्रेज (वाक्यांश) का इस्तेमाल जब 2010 में हुआ था तब अखबारों की सुर्खियां बना था. न्यायपालिका द्वारा अक्सर इस फ्रेज का इस्तेमाल होता है. UPA-2 सरकार के दौरान कोल ब्लॉक आवंटन घोटाला (Coal gate scam) को लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से बिंदुवार जवाब देने की मांग करते हुए BJP प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी ने कहा था, 'सीज़र की पत्नी को संदेह से परे होना चाहिए और हम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यही उम्मीद करते हैं.' इसके बाद सिंह ने कांग्रेस के पूर्ण सत्र में कहा था, 'मैं ईमानदारी से मानता हूं कि सीज़र की पत्नी की तरह, प्रधानमंत्री को संदेह से परे होना चाहिए और यही कारण है कि मैं पीएसी के सामने पेश होने के लिए तैयार हूं.'


अब तो आप समझ ही गए होंगे कि न्यायपालिका में इस फ्रेज का अक्सर इस्तेमाल क्यों होता है.