Ashish More Removed: लंबे समय से केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच चल रही अधिकारों की जंग पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया. 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह आदेश दिया है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास ही अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार होगा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आम आदमी सरकार एक्शन में नजर आ रही है. दिल्ली सरकार में सर्विसेज विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने अपने विभाग का सेक्रेटरी बदलने का आदेश दिया. इसके बाद सर्विसेज विभाग के सचिव पद से आशीष मोरे को हटा दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, सरकार में बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा और उन्होंने लोक कार्यों में रुकावट डालने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी. अदालत के फैसले से पहले,सर्विसेज डिपार्टमेंट दिल्ली के एलजी के पास था.


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क्या कहा कोर्ट ने


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और जमीन जैसे विषयों को छोड़कर बाकी सर्विसेज पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने कहा कि निर्वाचित सरकार का प्रशासन पर नियंत्रण जरूरी है. उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली का विशेष प्रकार का दर्जा है और उन्होंने जस्टिस अशोक भूषण के 2019 के फैसले से सहमति नहीं जताई, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार का सेवाओं पर कोई अधिकार नहीं है.


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं पर प्रशासनिक नियंत्रण के विवादित मुद्दे पर अपने फैसले में कहा, 'केंद्र की शक्ति का कोई और विस्तार संवैधानिक योजना के प्रतिकूल होगा.दिल्ली अन्य राज्यों की तरह ही है और उसकी भी एक चुनी हुई सरकार की व्यवस्था है.


केजरीवाल सरकार ने दी थी चुनौती


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2015 में एक अधिसूचना जारी की थी कि उसके पास दिल्ली में सेवाओं पर नियंत्रण है. अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस अधिसूचना को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने पिछले साल छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा था.


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