ASI Monuments Disappears: आप जब भी घर के बाहर निकलते होंगे तो आपने भी ऐसे पोस्टर दीवारों पर, ऑटो रिक्शा, बस या फिर किसी पुलिस थाने के बाहर देखें होंगे जिस पर लिखा होता होगा कि यह इंसान लापता है और इसकी जानकारी इस नंबर पर दें. ऐसा ही देश में हुआ है. ASI द्वारा संरक्षित ऐतिहासिक इमारतों के साथ, जहां इमारतों पर लापता होने के पोस्टर नहीं लगे हैं बल्कि पूरी की पूरी इमारतें ही गायब हो गई हैं. चौंकिए मत यह बात हम हवा में नही कह रहे हैं. ये जवाब के रूप में भारत सरकार ने संसद में कहा है. 2 फरवरी 2023 को भारत के सांस्कृतिक मंत्री जी किशन रेड्डी ने आप सांसद सुशील गुप्ता के सवाल का जवाब देते हुए बताया कि भारत में आज ASI द्वारा संरक्षित 24 ऐतिहासिक इमारतें गायब हैं, लापता हैं.


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24 ऐतिहासिक धरोहरें हुईं गायब


वो 24 ऐतिहासिक धरोहरें जो भारत के इतिहास का प्रतीक हैं, भारतीय सभ्यता का हिस्सा हैं, वो आज आजादी के 75 वर्ष बाद गायब हो चुकी हैं और उन्हें आसमान खा गया है या जमीन निगल गई है, हैं भी या नहीं, अगर हैं तो किस हालत में इसके बारे में ना ही भारत सरकार को और ना ही ASI को कुछ पता है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये 24 ऐतिहासिक इमारतें कौन सी हैं जो गायब हो चुकी हैं तो आइए एक-एक इमारत का नाम आपके बताते हूं, जिससे शायद आप ही ASI की इमारतों को ढूंढने में मदद कर पाएं.


- असम के तिनसुकिया में मौजूद सुल्तान शेर शाह की बंदूकें
- अरुणाचल प्रदेश के लोहित में स्थित तांबे वाले मन्दिर के अवशेष
- हरियाणा के फरीदाबाद और कुरुक्षेत्र में स्थित दो कोस मीनार
- देश की राजधानी दिल्ली में स्थित बराखम्बा कब्रिस्तान और इन्छला वाली गुमटी
- मध्यप्रदेश के सतना में स्थित पत्थर का शिलालेख
- महाराष्ट्र के पुणे में स्थित पुराना यूरोपीय मकबरा और अगरकोट में स्थित 1 बुरुज
- राजस्थान के टोंक के किले में मौजूद एक ऐतिहासिक शिलालेख और बारां में स्थित एक 12वीं सदी का मंदिर


सैकड़ों साल पुराना मंदिर गायब


ये अब तक कुल मिलाकर सूची की आधी इमारतें यानी 12 ऐतिहासिक इमारतें हैं जिन्हें ASI अपनी संरक्षित इमारत आज से कई दशक पहले घोषित कर चुकी हैं, लेकिन क्या संरक्षण हो रहा है ये आप भी देख रहे हैं कि आजादी के बाद सैकड़ों वर्ष पुराना मंदिर गायब हो जाता है, शिलालेख गायब हो जाते हैं, मीनारें गायब हो जाती हैं और ASI को पता भी नहीं लगता कि इन्हें जमीन खा गई है या आसमान निगल गया है.


यूपी की 11 ऐतिहासिक धरोहरें लापता


बाकी बची 12 इमारतों में से 11 इमारतें अकेले उत्तर प्रदेश की हैं. उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर में स्थित वर्ष 1000 में बनाया गया तीन छोटे लिंगों वाला मंदिर, उत्तर प्रदेश के चंदौली में पहाड़ों में स्थित 3 ऐतिहासिक साइट पर मौजूद महापाषाण, वाराणसी की Treasury बिल्डिंग पर मौजूद टेबलेट और तेलिया नाला के बौद्ध अवशेष, बलिया स्थित बरगद के बाग वाली ऐतिहासिक इमारत, बांदा का ऐतिहासिक कब्रिस्तान, ललितपुर स्थित गनर बर्किल का मकबरा, लखनऊ स्थित 3 मकबरे और गऊघाट व झरैला स्थित कब्रिस्तान, और उत्तर प्रदेश के हरदोई में मौजूद सांडी खेड़ा की बड़ी अवशेषों वाली साइट.


यह देश में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश की 11 इमारतें हैं जो ASI की संरक्षित इमारतों की लिस्ट में तो हैं लेकिन गायब, गुमशुदा या लापता जो आपको समझना है समझ लीजिए, वो हो चुकी हैं, जिसमें प्राचीन मंदिर से लेकर शिलालेख, कब्रिस्तान और साइट सब कुछ है. ASI की लापता इमारतों की सूची में अंतिम इमारत है पश्चिम बंगाल के बमनपुकुर स्थित किला, जो आज भारत सरकार के मुताबिक गुमशुदा है.


यह तो आपने जान लिया कि ASI की 24 इमारतें आज गायब हैं लापता हैं, अगर आपको मिलें तो आप ASI को जानकारी दीजिएगा जरूर, लेकिन अब आते हैं कि आखिर ये इमारतें गायब कैसे हो गईं. भारतीय संसद की परिवहन, पर्यटन एवं संस्कृति की स्टैंडिंग कमेटी की 70 पन्नों की रिपोर्ट दिसंबर 2022 यानी आज से 2 महीने पहले सदन के पटल पर रखी गई थी. रिपोर्ट का Title है 'Issues relating to Untraceable Monuments and Protection of Monuments in India'. इस रिपोर्ट में स्टैंडिंग कमेटी ने ASI की संरक्षित इमारतों के लुप्त होने, लापता होने और ठीक से संरक्षण ना होने के कारणों के बारे में विस्तृत रूप से बताया है.


रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2013 में ASI की 92 संरक्षित इमारतें लापता थीं. जिसमें से 12 का आज पता तो चल गया लेकिन ये जलाशय या फिर डैम के नीचे आकर खत्म हो चुकी हैं. 14 ऐतिहासिक इमारतें शहरीकरण की वजह से ध्वसत हो चुकी हैं और आज इनके ऊपर कोई मकान, सड़क या फिर दुकान बन चुकी है. 24 पूरी तरह से लापता हैं. लापता होने के कारणों पर संसदीय कमेटी ने बताया कि आज ASI की केंद्रीय सूची में 3693 इमारतें हैं जिनका संरक्षण करना उसकी जिम्मेदारी है लेकिन इन 3693 इमारतों में से सिर्फ 248 इमारतों की सुरक्षा के लिए ASI ने व्यवस्था कर रखी है. यानी सिर्फ 6.7 प्रतिशत बाकी के 93.3% इमारतों की सुरक्षा भगवान भरोसे है.


इसके अलावा सुरक्षा व्यवस्था ना होने की वजह से ASI की इमारतों में कब्जा भी हो रहा है, ऐसे में संसदीय कमेटी ने ASI को सैटेलाइट के द्वारा इन इमारतों की नजर रखने के लिए कहा है. इसके अलावा कमेटी ने रिपोर्ट में यह भी है ASI को मिलने वाला बजट भी नाकाफी है, और राज्य सरकारें ऐतिहासिक धरोहरों पर ध्यान ना देकर सारी जिम्मेदारी ASI पर ही थोप देती हैं. ऐसे में ASI का सालाना बजट बढ़ाने की जरूरत है और राज्य सरकारों की मदद की जरूरत है जिससे संस्कृति लापता ना हो, विकसित हो.


भारत में विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता, सबसे पुरानी संस्कृति मौजूद है, भारत कभी विश्वगुरु था इसका लोहा पूरी दुनिया भारत की ऐतिहासिक इमारतों को देख कर मानती हैं लेकिन आज इसी ऐतिहासिक गौरव को प्रदर्शित करने वाली 24 इमारतें लापता हैं. देश की राजधानी दिल्ली, जो ना कभी थमती है ना ही रुकती है, प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति सभी राष्ट्र के बड़े बड़े नेता यहां रहते हैं, शहर का अपना खुद का ऐतिहासिक गौरव है लाल किला से लेकर कुतुब मीनार, दिल्ली की शान हैं लेकिन इस दिल्ली में भी ASI की संरक्षित दो धरोहरें आज खो चुकी हैं. पहली लापता इमारत है बाराखम्बा Cemetry. इमारत लापता है, बस सड़क का नाम बचा है और उस पर दौड़ती गाड़ियां बची हैं.


स्थानीय लोगों के मुताबिक, आज से कुछ वर्ष पहले इसी बाराखम्बा स्मारक के पीछे कई हजार एकड़ की बाराखम्बा Cemetry यानी कब्रिस्तान था लेकिन आज यहां इस कब्रिस्तान के ऊपर ही पूरी कॉलोनी बस चुकी है. ASI की लापता इमारतों की सूची में दो कोस मीनारों का जिक्र जो हरियाणा के फरीदाबाद और कुरुक्षेत्र में थीं, लेकिन आज लापता है. ASI की फरीदाबाद के मुजेसर स्थित लापता कोस मीनार वर्ष 1983 तक तो खड़ी थी लेकिन आज उस स्थान पर एक विदेशी कंपनी की कई एकड़ में फैली इमारत मौजूद है और 1983 में हरियाणा सरकार से जमीन मिलने के बाद PORTIS AND SPENSER नाम की कम्पनी ने ऐतिहासिक सैकड़ों वर्ष पुरानी कोस मीनार को ध्वस्त करके अपना कारखाना बना लिया था.


ASI को पहली बार आज से 10 वर्ष पहले पता चला था कि उसकी 92 इमारतें लापता हैं, जब CAG की टीम ने ASI की 3 हजार 693 ऐतिहासिक इमारतों में से 16 सौ से ज्यादा का फिजिकल परीक्षण किया था, जिसके बाद ASI ने इन 92 में से अब 42 इमारतों को खोजबीन करके भी ढूंढ निकाला है और 26 के ना होने की पुष्टि भी कर चुका है लेकिन 24 आज भी लापता है. ऐसे में सवाल यही है कि आखिर आजादी के 70 वर्ष तक ASI और भारत सरकार क्यों अपने ऐतिहासिक गौरव को सहेजने में नाकाम रहे. अगर आप इन इलाको में रहते हैं और आपको इन लापता इमारतों की जानकारी है तो आप चाहें तो ASI के आधिकारिक ईमेल dg.asi@gov.in पर सूचना भी दे सकते हैं.


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