गुवाहाटी: पूर्वोत्तर भारत में बीजेपी (BJP) के फायरब्रांड नेता हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) इस बार असम चुनाव (Assam Assembly Election 2021) में बड़ी जीत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. वे असम की जलुकबारी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. साथ ही पार्टी के लिए घूम-घूमकर राज्य में प्रचार भी कर रहे हैं. उनका कहना है कि इन चुनावों में अजमल ने कांग्रेस को चूना लगाकर अपनी स्थिति मजबूत कर ली है. जिसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. Zee News ने हिमंता बिस्वा सरमा से असम चुनाव पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू किया. 


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सवाल: आप असम चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार भी है और स्टार कैंपेनर भी हैं? 
जवाब:  मैं 25 साल से विधायक हूं. लेकिन मैं अपने क्षेत्र में प्रचार करने के लिए जनसंपर्क के लिए आखिरी दिन ही जाता हूं. अभी मेरे वोट का प्रतिशत 80 है. मुझे उम्मीद है कि ये बढ़कर 90 फीसदी तक हो जायेगा. मोदी जी पर पूरा भरोसा है. पिछले 5 साल सरकार में बहुत काम हुआ है. मेरे क्षेत्र में भी बहुत काम हुआ है तो उम्मीद है कि करीब 90% लोग इस चुनाव में हमें वोट करेंगे. 


सवाल: बीजेपी राज्य में 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. आपको 92 में से कितनी सीट आने की उम्मीद है?
जवाब: इस बार गठबंधन को 90 से ज्यादा सीट आने की उम्मीद है. जहां तक बीजेपी का सवाल है, पिछली बार पार्टी को 59 सीटें मिली थीं. इस बार 63 से 66 सीटें पार्टी को मिलेंगी. 


सवाल: आपने अपने गठबंधन की बात की है लेकिन आप के विरोध में भी एक गठबंधन है. राहुल गांधी और अजमल के बीच. यह गठबंधन आपके लिए बड़ी चुनौती होगी? 
जवाब: बंगाली मुसलमान वाले क्षेत्रों की सीटें उनके खाते में जाएंगी. पिछली बार उनके बीच गठबंधन नहीं था. इसलिए उन इलाकों में 6 से 8 सीट हम लोग जीते थे. एक तरफ से असमिया मुसलमान और असमिया हिंदू हैं. ये भूमिपुत्र हैं. पिछली बार कांग्रेस को इन भूमिपुत्रों के इलाके में 12 से 13 सीटें मिली थीं. अब इस गठबंधन की प्रतिक्रिया में वह सब सीटें उनके हाथ से निकल जाएंगी. यानी उनके गठबंधन से बीजेपी को ही फायदा होगा. थोड़ा बहुत फायदा अजमल (Badruddin Ajmal) को भी होगा, वहीं कांग्रेस को नुकसान होगा.


सवाल: आपने असमी और बंगाली मुसलमान कहा और यही बात राहुल गांधी कहते हैं कि बीजेपी नफरत की बीज बोती है. बीजेपी सांप्रदायिक पार्टी है और भेदभाव करती है.
जवाब: मैं नफरत तो करता ही हूं. अगर कोई आकर हमारी जमीन ले ले. मोनेस्ट्री की जमीन ले ले. अगर कोई बाहर से आकर असम में सत्ता पर कब्जा करने की कोशिश करे. हमारी भाषा को तोड़ मरोड़ कर अपनी भाषा बनाने की कोशिश करें. तो क्या मैं उनसे नफरत नहीं करूंगा. राहुल बाबा के बोलने से क्या हम उनसे प्यार करने लग जाएं?  राहुल की जो बातें हैं. उसका मतलब ये है कि असमिया लोग सरेंडर कर दें. किस लिए? क्योंकि आपको नफरत करने की इजाजत नहीं है? क्यों नहीं है हमें नफरत करने की इजाजत? अगर कोई हमारी सभ्यता, संस्कृति पर हमला करे. कोई हमको असम के 12 जिलों में अल्पसंख्यक बना दे. अगले 10 साल में और 10 जिलों में माइनॉरिटी बनाने की साजिश रचता हो. अगर कोई कहता है कि जनसंख्या बढ़ाओ तो उसको खुशी होगी, तो मैं क्यों नही नफरत करूंगा. नफरत से भी बड़ा कोई शब्द है तो वो भी मैं करूंगा. 


सवाल: राहुल कहते हैं सरकार में आने पर CAA को लागू नहीं होने देंगे?
जवाब: राहुल को असम के बारे में कोई नॉलेज नहीं है. यह जो नफरत वाली बात है, उसे कांग्रेस ने 1935 में शुरू किया था. जब मुस्लिम लीग के सर सरदुल्ला मुख्यमंत्री हुआ करते थे और बारदोलोई कांग्रेस का मुख्यमंत्री हुआ करते थे. उसी समय से कांग्रेस के ही प्रस्ताव के आधार पर बंगियो मुसलमान के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ. वही धारा अभी तक चल रही है. अगर राहुल को इस पर आपत्ति है तो 1935 से 1972 तक कांग्रेस का जो भी प्रस्ताव है, उसको राहुल  फाड़कर ब्रह्मपुत्र में फेंक दे. राहुल को इसकी कोई जानकारी नहीं है. कैसे वो पॉलिटिकल  गारंटी देते हैं. क्या यह कोई मशीन है. 18 महीने में खराब नहीं होगी? वे कहते हैं नफरत को प्यार में बदलेंगे.  इसका मतलब क्या?  क्या अजमल बच्चा जनना बंद कर देगा? अजमल मियां क्या कविता लिखना बंद कर देगा?  क्या अजमल (Badruddin Ajmal) 12 जिलों में जो हम माइनॉरिटी में आ गए हैं, उसको बंद कर देगा? राहुल को  नफरत को प्यार में बदलने का फार्मूला क्या है? अगर वह फार्मूला अच्छा है तो मैं उसमें हां करूंगा. वह बताएं तो सही. हमको ऐसा प्यार तो नहीं चाहिए.


सवाल: कांग्रेस क्या असम में नेतृत्व विहीन हो गई है?
जवाब: वर्ष 2016 में ही तरुण गोगोई को हमने हरा दिया था. उस समय वे 92 साल के थे. जो खालीपन कांग्रेस में है, वह होना ही था. अभी कांग्रेस में जो खालीपन है, वह अगले 20 साल तक रहना है.


सवाल: क्या इस खालीपन को अजमल पूरा कर रहे हैं?
जवाब: अजमल ने कांग्रेस को चूना लगा दिया है. कांग्रेस के साथ गठबंधन करके अपनी सीटों की स्थिति मजबूत कर ली है. इन चुनावों में कांग्रेस को नुकसान होगा और अजमल की सीटें बढ़ेंगी. 


सवाल: अगर अजमल को ज्यादा सीटें आती है तो क्या उनकी पार्टी का एलोपी बन सकता है?
जवाब: हमको तो लगता है कि अजमल  की पार्टी  का एलोपी बनेगा. 


सवाल: CAA कब लागू होगा यहां?
जवाब: CAA का इससे कोई रिलेशन नहीं है. मैं तो हाथ उठाकर स्वागत करने के लिए बैठा हूं. जब भारत सरकार तय कर लेगी, हम इसे असम में शुरू कर देंगे.


सवाल: राहुल गांधी कह रहे हैं कि सरकार का  कंट्रोल नागपुर से होता है? 
जवाब: वे नागपुर से कंट्रोल की बात करते हैं. जबकि कांग्रेस के ज्यादातर एमएलए हमारे पास ही बैठे रहते हैं.  नागपुर क्यों आकर असम को कंट्रोल करेगा? क्या नागपुर को और कोई काम नहीं है? राहुल गांधी को क्या लगता है कि यहां की पंचायत, जिला परिषद भी नागपुर कंट्रोल करता है. सवाल है कि क्या इटली भारत को कंट्रोल करेगा. नागपुर तो भारत के अंदर है भाई. स्टॉक मार्केट मुंबई से होता है. पॉलिटिक्स दिल्ली से होती है. भारत के बीच में कोई किसी को कंट्रोल करे तो इसमें आपत्ति क्या है? लेकिन आप को इटली से कंट्रोल नहीं होना चाहिए.


सवाल: बंगाल की बात कर ले तो ममता बनर्जी बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं को दुर्योधन, दुशासन और पता नहीं कौन कौन से शब्द का इस्तेमाल करती हैं. 
जवाब: असम का जो सटा हुआ नार्थ बंगाल एरिया है, वहां बीजेपी सभी सीटें जीतेगी. वह जानते हैं कि एक महीना की ही गद्दी है तो ममता बनर्जी का फ्रस्ट्रेशन दिख रहा है. 


सवाल: यहां पर एक ही नारा है कि एक बार फिर मोदी सरकार. असम में मोदी सरकार का क्या मतलब? यहां पर तो सर्बानंद या फिर हिमंता सरकार होनी चाहिए?
जवाब: नरेंद्र मोदी हमारे सर्वोच्च नेता हैं. विश्व के नेता हैं .जब आप बोलेंगे कि मोदी सरकार आ रही है तो एक अलग ही उत्साह होता है. एक बार मोदी जी का नाम ले लो तो 10 वोट ऐसे ही आ जाते हैं. मोदी जी ने अपना नाम हमें दिया कि हमारे नाम ले लो तो हम लोग तो उनके नाम लेकर कृतज्ञ हैं. इस नारे के साथ जब धूम मचती है तो हमारे जितने भी असमिया नागरिक हैं, खासकर महिलाएं उस धुन पर नाचने लगती हैं. मोदी के नाम पर जो धूम और एक इमेज बनती है, वह किसी और के नाम पर नहीं बनती. 


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सवाल: जब आप कांग्रेस में थे और तरुण गोगोई सीएम थे तो कहा जाता था कि सरकार बनाना और चलाना आपके हाथ में था. पिछले 5 साल से भी यही कहा जा रहा है कि सर्बानंद सोनोवाल भले ही सीएम थे लेकिन सरकार चलाना आपके ही हाथों में था. 
जवाब: ऐसा नहीं है. असम में एक बहुत ही दोस्ती और भाईचारे का रिश्ता है. पिछले 5 साल में बहुत ही अच्छी सरकार चली. एक दिन भी किसी को स्कोप नहीं मिला हम दोनों के बीच में मतभेद पैदा करने का. हम सब मिलकर फैसले लेते हैं. सामूहिक रूप से हम फैसले लेते हैं. 


सवाल: पार्टी के 5 लोग तय करेंगे कि 2 मई के बाद कौन मुख्यमंत्री होगा?
जवाब: यह 5 लोगों के दायरे में नहीं आता. हमारे पार्टी के जो सर्वोच्च नेता हैं प्रधानमंत्री मोदी या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नडडा, वही तय करेंगे. वह जो कहेंगे, वही तय होगा.


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