राहुल गांधी ने Assam में Badruddin Ajmal के सामने घुटने टेके, जनता देगी जवाब: नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री और बीजेपी के असम प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) का दावा है कि राज्य में फिर से उनकी ही पार्टी की सरकार बनेगी. तोमर ने कहा कि कांग्रेस ने अजमल के साथ गठबंधन करके जनता से धोखा किया है.
गुवाहाटी: नॉर्थ ईस्ट का दरवाजा कहे जाने वाले असम (Assam Assembly Election 2021) में बीजेपी दोबारा से सत्ता में आने के लिए कांग्रेस पर जमकर हमला बोल रही है. Zee News को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में केंद्रीय कृषि मंत्री और बीजेपी के असम प्रभारी नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि उनकी पार्टी की इस राज्य में दोबारा जीत निश्चित है. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी ने पिछले 5 सालों में जनता के लिए बहुत काम किया है, जिसका लाभ उसे चुनाव में मिलेगा.
सवाल- आप चुनाव प्रभारी है. क्या आपको लग रहा है कि बीजेपी अपने गठबंधन के साथ बदरुद्दीन अजमल और कांग्रेस की उस चुनौती का सामना कर पाएगी, जिससे वह सत्ता में बरकरार रह सके?
जवाब- भारतीय जनता पार्टी बहुत मजबूत पार्टी है. पिछले 5 साल में बीजेपी का जनाधार और बढ़ा है. बीजेपी की सरकार ने इन 5 वर्षों में असम में शांति सुरक्षा और विकास देने का सफल प्रयत्न किया है. इन कारणों से बीजेपी के प्रति आम जनता के विश्वास में बढ़ोतरी हुई है. इसलिए हमें भरोसा है कि बीजेपी पहले से ज्यादा मतों से सरकार बनाने में सफल होगी. जहां तक कांग्रेस और अजमल का सवाल है, यह गठबंधन पूरी तरह से आप्रसांगिक हो गया है. कांग्रेस को जब रिजल्ट आएगा, तब अपनी हैसियत का पता चलेगा. AIUDF एक सांप्रदायिक पार्टी है. तरुण गोगोई के समय में भी अजमल के साथ कभी भी समझौते की स्थिति नहीं बनी. तरुण गोगोई जानते थे कि अजमल किस स्थिति का व्यक्ति है. लेकिन राहुल गांधी ने अजमल के सामने घुटने टेके और और पूरी तरह से बदरुद्दीन अजमल की गोद में बैठ गए. इससे कांग्रेस का सांप्रदायिक चरित्र एक बार फिर उजागर हुआ है.
सवाल- यानी उनका गठबंधन आपके लिए कोई चुनौती नहीं है? वर्ष 2016 में यह गठबंधन नहीं था. इस बार दोनों साथ चुनाव लड़ रहे हैं?
जवाब- यह बात ठीक है कि दोनों मिलकर चुनाव लड़ रहे है लेकिन यह गठबंधन नहीं है बल्कि ठगबंधन है. दोनों मिलकर असम की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन दोनों ठगों के चरित्र से असम की जनता परिचित है. दोनों ठगों को चुनाव में हैसियत बताने का काम असम की जनता जरूर करेगी .
सवाल- राहुल और प्रियंका वाड्रा अपने प्रचार चाय बागान पर सीमित किए हुए है. चाय मजदूर हों या चाय बागान के मालिक, उनका कहना है कि 5 साल पहले किए वादे को आपने पूरा नहीं किया. उनका कहना है कि सत्ता में आने पर कांग्रेस डबल पैसा देगी.
जवाब- मैं तो राहुल गांधी और प्रियंका को यही कहना चाहता हूं कि 2016 से पहले 15 साल तक उन्हीं की सरकार थी. आपकी सरकार ने 15 साल में क्यों नहीं उनका रेट बढ़ाया. आपने 15 साल में चाय बागान में क्या किया? इसका जवाब उन्हें देना होगा. जहां तक हमारी बात है, हमने टी वर्कर्स की मजदूरी बढ़ाने का काम किया है. वर्ष 2016 में जब हम सत्ता में आए थे, तब मजदूरी 137 रुपये थी. उसे बढ़ाकर बीजेपी सरकार ने 217 रुपये किया.
सवाल- इसका मतलब दोनों गलत बयान दे रहे हैं?
जवाब- असम में बहनें ज्यादा काम करती हैं. उनको मैटरनिटी की सुविधा नहीं मिलती थी. बीजेपी की सरकार ने उनको मैटरनिटी सुविधा देने का काम किया. टी गार्डन में सड़के बनाई . टी गार्डन के वर्कर्स को ₹8000 देने का काम किया. अब लोग कांग्रेस की बातों में आने वाले नहीं हैं.
सवाल- राहुल गांधी एक बार नहीं, कई बार कहते हैं कि आप नफरत चलाते हैं? बीजेपी भेदभाव करती है, संप्रदायिकता फैलाती है ?
जवाब- राहुल गांधी और असत्य एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हो गए हैं. राहुल गांधी का नाम ले लो, असत्य आ जाता है और असत्य का नाम ले लो तो राहुल गांधी आ जाते हैं. पूरे देश में कांग्रेस के नेता के रूप में राहुल गांधी का झूठ बोलने का एक रिकॉर्ड बन चुका है. निश्चित तौर पर इसके लिए किसी संस्था द्वारा उनको सम्मानित करना चाहिए.
सवाल- सालों से देखा जाता है कि बीजेपी जिन राज्यों में सत्ता में होती है, वहां पर ऐलान कर दिया जाता है कि अगले मुख्यमंत्री कौन होंगे. लेकिन असम में एक बार फिर से मोदी सरकार का नारा है. सर्वानंद सोनोवाल को लेकर कोई परेशानी है क्या?
जवाब- ऐसा नहीं है. मोदी जी हमारे सबसे वरिष्ठ नेता है. उनके नाम पर वोट मांगना एक स्वाभाविक सी बात है. सारे देश में मोदी जी का असर जितना है लेकिन असम में ज्यादा है. जहां तक मुख्यमंत्री का सवाल है. जहां मुख्यमंत्री नहीं होता है,वहां पर हम मुख्यमंत्री घोषित करते हैं. यहां पर तो ऑलरेडी मुख्यमंत्री हैं. इसलिए और आगे बात करने की कोई आवश्यकता नहीं है.
सवाल- पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में आपकी पार्टी ने किसानों को लेकर कई वायदे किए हैं. किसान नेता भी वहां घूम घूम कर कह रहे हैं कि बीजेपी को वोट ना दें .
जवाब- प्रचार करने की स्वतंत्रता सबको है. जहां तक किसान आंदोलन की बात है, भारत सरकार ने बहुत ही संवेदनशीलता के साथ किसान नेताओं से 12 दौर की बातचीत की है. 50 घंटे से ज्यादा की बातचीत हुई है. उनकी भावनाओं को समझ कर संशोधित प्रस्ताव देने का काम किया. फिर भी किसान नेताओं को बात रास नहीं आई. हमने किसान नेताओं से कहा है कि हमारा प्रस्ताव पसंद नहीं है तो अपना अपना प्रस्ताव हमें तो दीजिए. हम विचार कर अपने मत से आपको अवगत कराएंगे. कई दिन हो गए हैं किसान नेताओं की तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं आया है. जिस दिन भी प्रस्ताव आएगा सरकार जरूर उनसे बातचीत करना चाहेगी. हमें खुशी होगी कि वह बातचीत कर समस्या का हल करें और आंदोलन को समाप्त करके अपने अपने घर को जाएं. जहां तक पश्चिम बंगाल का सवाल है पश्चिम बंगाल में किसानों से जुड़ी केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं. जिन्हें राजनीतिक कारणों से ममता दीदी लागू नहीं होने देती.
सवाल- किसान नेता प्रचार करके कह रहे हैं कि बीजेपी को वोट ना दें. जबकि पहले कहते थे कि राजनीति से कोई वास्ता नहीं है. क्या आपको लगता है कि अब उनका राजनीति से वास्ता हो गया है?
जवाब- मैं सोचता हूं कि जो कुछ भी उन्होंने कहा है, उस पर कायम रहना चाहिए. अगर कायम नहीं रहेंगे तो अपनी ही विश्वसनीयता घटाएंगे. इस पर मैं क्या करूं.
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सवाल- असम में 100 प्लस, बीजेपी प्लस की कितनी संभावना है?
जवाब- बीजेपी पूरी ताकत से चुनाव लड़ रही है. हमारा गठबंधन बहुत मजबूत है. गठबंधन के सभी घटक मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. हमारा विश्वास है कि भारतीय जनता पार्टी ने जो लक्ष्य तय किए हैं, वह पूरे होंगे.
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