`अतीक-अशरफ की हत्या में सरकार का हाथ`, गैंगस्टर की बहन ने SC से लगाई जांच की गुहार
Atiq Ahmed killing: याचिका में आग्रह किया गया है कि याचिकाकर्ता, जिसने राज्य प्रायोजित हत्याओं में अपने भाइयों और भतीजे को खो दिया है, इस न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति या वैकल्पिक रूप से एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा व्यापक जांच की मांग करती है.
Atiq Ahmed Case: गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की बहन ने अपने दो भाइयों और एक भतीजे की मौत के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और राज्य पुलिस को जिम्मेदार बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. आयशा नूरी के वकील सोमेश चंद्र झा और अमर्त्य ए. शरण ने हत्या की व्यापक जांच की मांग की है. याचिका में आग्रह किया गया है कि याचिकाकर्ता, जिसने राज्य प्रायोजित हत्याओं में अपने भाइयों और भतीजे को खो दिया है, इस न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति या वैकल्पिक रूप से एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा व्यापक जांच की मांग करती है.
नूरी ने केंद्र, उत्तर प्रदेश और राज्य के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, विशेष कार्य बल को प्रतिवादी बनाया है. याचिका में कहा गया है कि पुलिस अधिकारी यूपी सरकार के पूर्ण समर्थन का आनंद ले रहे हैं, जिसने उन्हें प्रतिशोध के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने की पूरी छूट दे दी है. उन्होंने तर्क दिया है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उनका मौलिक अधिकार है कि वह हत्या की जांच मांग कर सकती हैं.
15 अप्रैल को हुई थी हत्या
बता दें कि 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद से ही अतीक अहमद गैंग यूपी पुलिस और एसटीएफ के निशाने पर था. साबरमती जेल से अतीक और बरेली जेल से अशरफ को लाकर प्रयागराज पुलिस पूछताछ कर रही थी. इसी दौरान 15 अप्रैल की रात करीब 10 बजे कॉल्विन हॉस्पिटल परिसर में अतीक और अशरफ की तीन शूटरों ने हत्या कर दी.
28 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश पुलिस से यह बताने के लिए कहा था कि जिस दिन अतीक अहमद और उनके भाई को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया था, उस दिन उनकी परेड क्यों की गई थी. अदालत ने आगे पूछा था कि हत्यारों को कैसे पता था कि भाइयों को 15 अप्रैल को प्रयागराज के अस्पताल में लाया जाएगा.
राज्य ने हत्याओं को परिवार के आपराधिक अतीत से जोड़ने की मांग की थी. राज्य द्वारा दो पूर्व उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों और एक अन्य न्यायाधीश के साथ एक जांच आयोग का गठन किया गया था. हत्याओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था.