Atiq Ahmed Shot Dead: यूं तो जुलाई की गर्मी असहनीय होती है. लेकिन साल 2008 की जुलाई में सियासी तपिश ज्यादा थी. मनमोहन सिंह की अगुआई वाली कांग्रेस सरकार को 4 साल ही हुए थे कि उस पर खतरा मंडराने लगा. अमेरिका के साथ एटॉमिक डील के खिलाफ लेफ्ट पार्टियों ने कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. 


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कड़ी सुरक्षा में लाया गया था दिल्ली


तारीख थी 22 जुलाई 2008. लोकसभा में कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हो रही थी. तब अतीक मैनपुरी जेल में बंद था. संसद के दो दिन के विशेष सत्र में भाग लेने और वोट डालने के लिए उसको इलाहाबाद की एक अदालत से इजाजत मिली थी. कड़ी सुरक्षा के बीच अतीक अहमद को मैनपुरी जेल से दिल्ली लाया गया. जेल अधिकारियों को अदालत से अतीक को कड़ी सुरक्षा में दो दिन के लिए दिल्ली ले जाने का निर्देश मिला था. उस वक्त अतीक अहमद फूलपुर से सपा के सांसद थे और कई आपराधिक मामले उन पर चल रहे थे.


जब मुलायम को किया नाराज


मनमोहन सिंह सरकार को मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी बाहर से समर्थन दे रही थी और परमाणु डील पर भी कांग्रेस के साथ खड़ी थी. तब सपा के 39 सांसदों में से 6 ने कांग्रेस सरकार के विरुद्ध वोट किया था. ये 4 बागी सांसद जयप्रकाश रावत, मुनव्वर हसन, एसपी सिंह बघेल, राजनारायण बुधोलिया थे. जबकि अतीक अहमद और अफजल अंसारी जेल में कैद थे. तब मनमोहन सिंह सरकार को बचाने के लिए सपा ने दो निर्दलीय सांसदों बालेश्वर यादव और बृज भूषण शरण सिंह का भी समर्थन जुटाया था. वहीं बसपा के तमाम 17 सांसदों ने सरकार के विरुद्ध वोट डाला था.


सपा ने अतीक को निकाल दिया था


इससे पहले ही जनवरी 2008 में पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से अतीक अहमद को सपा ने पार्टी से निकाल दिया था. तब वह बसपा से हाथ मिलाने में जुटे हुए थे लेकिन कामयाबी नहीं मिल रही थी. इसके बाद अतीक अहमद के मुलायम सिंह के साथ रिश्ते खराब होते चले गए. मुलायम सिंह यादव ने सपा सांसदों को वोटिंग से दूर रहने को कहा था लेकिन अतीक ने न सिर्फ सरकार के खिलाफ वोटिंग की बल्कि नो ट्रस्ट वोटिंग में हिस्सा लिया. उसने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कई बयान भी दिए थे. 


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