Mughal Era Facts: काशी (Kashi) की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) में जो फव्वारा मिला है वो फव्वारा ही है या फिर काशी विश्वनाथ (Kashi Vishwanath) का पवित्र शिवलिंग? हर कोई चाहता है कि इस बैचैनी का जल्द ही नतीजा निकले. लेकिन मामला है कि एक कोर्ट से दूसरी कोर्ट और दूसरी से तीसरी कोर्ट ऐसी चार अदालतों में घूम रहा है. ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे को लेकर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर सुनवाई है. काशी की जिला अदालत में भी मुस्लिम पक्ष ने याचिका दी है और ASI सर्वे पर ऐतराज जताया है. लेकिन क्या ये मुकदमा भविष्य की बजाय इतिहास की ओर जा रहा है क्योंकि अब दलीलें यहां पर आ गई हैं कि औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाया ही नहीं था. दलीलें ये दी जा रही हैं कि औरंगजेब तो बड़ा ही न्याय प्रिय, शांतप्रिय शासक था. वो तो जितनी कद्र और सम्मान मस्जिदों की करता था, उसके मन में उतना ही सम्मान मंदिरों के लिए था.


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औरंगजेब पर आरोपों को बताया झूठा


इतिहास की किताबें और जो कुछ दस्तावेज हैं वो तो ये बताते हैं कि औरंगजेब के फरमान से ही काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ा गया था. उसी के फरमान से मथुरा में कृष्णजन्मभूमि पर विध्वंस किया गया था. लेकिन अदालत में मुस्लिम पक्ष की दलील है कि ये सब झूठ है. उसका कहना है कि औरंगजेब के खिलाफ झूठे तथ्य गढ़े गए हैं और ये सब इसलिये किया जा रहा है ताकि एक धर्म के लोगों के प्रति नफरत बढ़ाई जा सके. तो इसके क्या मायने हैं कि जो कुछ इतिहास की किताबों में औरंगजेब के बारे में लिखा गया वो पूरी तरह से गलत है. और आखिर अंजुमन इंतजामिया कमेटी को औरंगजेब की दयाशीलता वाला ज्ञान कहां से मिला, किस किताब में इस बात का जिक्र है.


क्या सच में दयावान था औरंगजेब?


बता दें कि औरंगजेब के मंदिरों को तोड़ने के आदेश का जिक्र उसकी दरबारी मुस्ताइद खान ने अपनी किताब 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में किया है. इसी आदेश के बाद काशी विश्वनाथ मदिर, मथुरा का केशवदेव मंदिर गिराया गया था. इसी ऑर्डर के बाद अहमदाबाद का चिंतामणि मंदिर, बीजापुर का मंदिर, वडनगर का हथेश्वर मंदिर, सवाई माधोपुर का मलारना मंदिर गिराया गया था. इसके साथ उदयपुर के कई मंदिर और उज्जैन के आसपास कई मंदिर गिराए गए थे. अब सवाल है कि ये क्रूर होने की निशानी है या दयालु होने की?


औरंगजेब का सच!


क्रूर औरंगजेब ने 9 अप्रैल 1669 को हिंदू मंदिरों के साथ विद्यालय गिराने के आदेश दिए. काशी-मथुरा से लेकर सल्तनत के 21 सूबों पर ये आदेश लागू हुआ था. दरबारी लेखक साकी मुस्ताइद खान की किताब में मआसिर-ए-आलमगीरी में इसका जिक्र मिलता है. 1965 में प्रकाशित वाराणसी गजेटियर के पेज नंबर- 57 पर भी इसका जिक्र मिलता है. मंदिर तोड़ने के साथ ही हिंदुओं के त्योहार मनाने पर रोक लगाई गई थी. हिंदुओं के धार्मिक प्रथाओं को अपनाने पर भी रोक लगाई गई थी. औरंगजेब के आदेश के बाद सोमनाथ, काशी और केशवदेव समेत सैकड़ों मंदिर गिराए गए थे.


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