अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में भव्य श्रीराम मंदिर (Ram Mandir) का निर्माण कार्य अगले दो-तीन महीनों में शुरू होने जा रहा है. इसी के चलते श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को एक के बाद एक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस वक्त ट्रस्ट के सामने एक बड़ा सवाल है, 'क्या भव्य श्रीराम मंदिर में मौजूदा रामलला की मूर्ति को ही गर्भ गृह में रखा जाए? या उसकी जगह भव्य मंदिर की तरह ही भव्य मूर्ति हो?'


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बाल्यरूप वाली मौजूदा मूर्ति को मिली कानूनी मान्‍यता
आपको बताते चलें कि 1949 से स्‍थापित रामलला के बाल्यरूप वाली मौजूदा मूर्ति बहुत छोटी है. हालांकि ऐसा माना जाता है कि विवादित ढांचे में ये बाल्य रूप वाली मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी. जबकि कुछ लोग इसको गलत मानते हैं और कहते हैं कि किसी ने मूर्ति को चुपके से वहां रखा दिया था. लेकिन सच्चाई जो भी हो, रामलला की उस मूर्ति को अब सनातनी और कानूनी मान्यता मिल गई है. ऐसे में सवाल है कि क्या उसी मूर्ति को भव्य राम मंदिर में रखा जाएगा? या नई मूर्ति का निर्माण कराया जाएगा? 


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बदलाव के संकेत
सूत्रों की मानें तो अयोध्या में वर्षों से पूजे जा रहे 'श्री रामलला की मूर्ति' यानी 'रामलला विराजमान की मूर्ति' में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि सवाल उठता है कि जिस रामलला विराजमान ने स्वयं कोर्ट में केस जीता हो, जो खुद वादी रहा हो, उसके स्वरूप को कैसे बदला जा सकता है? उसका स्थान कैसे कोई दूसरी मूर्ति ले सकती है? कैसी होगी नए मंदिर की नई मूर्ति? बदलने की क्या होगी प्रक्रिया? इन सभी मुद्दों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंथन कर रहा है. ऐसे में ट्रस्ट के पास कई तरह के सुझाव आ रहे हैं, जिस पर विचार किया जा रहा है.


बनी रहेगी श्री राम मंदिर के गर्भ गृह में मौजूदा मूर्ति
हालांकि इस विकल्प पर फिलहाल एक तरह से सहमति बनने की संभावना बढ़ रही है, कि भव्य श्री राम मंदिर के गर्भ गृह में मौजूदा मूर्ति तो रहेगी, लेकिन साथ में उसी स्वरूप की एक भव्य मूर्ति का भी निर्माण कराया जाएगा, जिसे गर्भ गृह में ही रखा जाएगा. इसके पीछे तर्क ये दिया जा रहा है कि मौजूदा मूर्ति का आकार बहुत छोटा है और जब भव्य मंदिर बन जाएगा तो करोड़ों की संख्या में आने वाले भक्तों को भगवान का दर्शन करने में बड़ी समस्या आएगी.


लोगों ने राम मंदिर के लिए इतना संघर्ष किया. कई साल तक इस दिन का इंतजार किया है और जब दर्शन करने का समय आएगा तो सही से दर्शन नहीं होने पर काफी मायूसी होगी. इसलिए गर्भ गृह में ही मौजूदा मूर्ति के साथ ही एक और भव्य मूर्ति रखी जाए जिससे भक्तजन दूर से दर्शन कर सकें.


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उन्होंने बताया कि भगवान की मौजूदा मूर्ति को 'अचल मूर्ति' के रूप में माना जाएगा. यानि इस मूर्ति को स्थाई तौर पर रखा जाएगा. इसे एक बार स्थापित कर दिए जाने के बाद, फिर किसी भी हालत में वहां से हिलाया नहीं जाएगा. जो नई मूर्ति होगी, वो 'चल मूर्ति' के रूप में रहेगी. इस मूर्ति का इस्तेमाल दर्शन के अलावा, जरूरत पड़ने पर झांकी और शोभा यात्रा के तौर पर भी किया जा सकेगा. सूत्रों के अनुसार इस विकल्प या सुझाव पर अभी विचार किया जा रहा है. हालांकि अंतिम निर्णय होना अभी बाकी है.


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