चीन की कोई भी हरकत उसपर ही पड़ेगी भारी, हिंद महासागर में तैनात हुए बी-2 बॉम्बर जेट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की दोस्ती चीन पर बहुत भारी पड़ने वाली है. लद्दाख में चीन ने जो दुस्साहस किया है, अब ऐसी किसी भी दुस्साहस पर चीन को करारा जवाब मिलेगा.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की दोस्ती चीन पर बहुत भारी पड़ने वाली है. लद्दाख में चीन ने जो दुस्साहस किया है, अब ऐसी किसी भी दुस्साहस पर चीन को करारा जवाब मिलेगा. क्योंकि हिंद महासागर (Indian Ocean)में अमेरिका का सबसे घातक विमान बी-2 आ चुका है. और इसकी तैनाती से चीन घबरा उठा है.
हिंद महासागर में बी-2 बॉम्बर (B-2 Bomber) की तैनाती ये बताने के लिए काफी है कि भारत-अमेरिका मिलकर अब चीन को सबक सिखाएंगे. आसमान में उड़ते अमेरिका के इस ब्रह्मास़्त्र की सबसे बड़ी खूबी है कि इसे दुश्मन का कोई भी राडार (Radar) पकड़ नहीं सकता. यानि ये जिधर धमाका करने जाएगा, उधर तबाही मचाकर ही वापस आएगा.
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लद्दाख में भारत और चीन में तनाव के बाद अमेरिका ने अपने सबसे घातक B2 Spirit Stealth Bomber को डियागो गार्सिया सैन्य अड्डे में तैनात किया है. अमेरिका का ये सैन्य अड्डा हिंद महासागर में भारत से करीब 3 हजार किलोमीटर की दूरी पर है एक बी-2 बॉम्बर (B-2 Bomber) अपने साथ 16 परमाणु बम (Nuclear weapons) ले जा सकता है और एक उड़ान में ये पूरे चीन को निशाना बना सकता है.
ये विमान करीब 29 घंटे की हवाई यात्रा करके अमेरिका के मिसौरी एयरफोर्स बेस (Missouri Airforce base) से डियागो गार्सिया पहुंचे हैं. अमेरिकी वायुसेना (US Airforce) ने इसके बाद बयान जारी किया, '29 घंटे की यह यात्रा दर्शाती है कि अमेरिका अपने दोस्तों और सहयोगियों की मदद के लिए बेहद घातक और लंबी दूरी तक किसी भी समय और कहीं भी हमला करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.'
हिंद महासागर में अमेरिका का सबसे बड़ा सहयोगी भारत है, और चीन भारत के खिलाफ लगातार साजिशें रच रहा है. वैसे तो भारत चीन के किसी भी दुस्साहस का कड़ा जवाब देने में सक्षम है, इसके बावजूद दुनिया के सबसे घातक बम वर्षक विमानों की मौजूदगी चीन पर दबाव और बढ़ाएगी. यानी कि चीन को कोई भी चालाकी बहुत भारी पड़ेगी. खासकर तब, जब मोदी-ट्रंप की दोस्ती चीन की हर चालाकी पर नजर बनाए हुए है.
इतना महत्वपूर्ण क्यों है डिएगो गार्सिया?
डिएगो गार्सिया (Diego Garcia) हिंदुस्तान से 3,000 किमी दक्षिण में हिंद महासागर के बीच स्थित द्वीप समूह है. करीब 60 द्वीपों वाले इस द्वीप समूह पर ब्रिटिश इंडियन ओसेन टेरीटरीज (British Indian Ocean Territories) के तहत ब्रिटेन का कब्जा है, जिसे वो सैनिक अड्डे के तौर पर इस्तेमाल करता है.
पहले ये मालदीव ब्रिटिश उपनिवेश के हिस्से था, लेकिन 1957 में इसे अलग करके सीधे ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में ले लिया गया. ताकि मालदीव को आजाद करने के बाद भी हिंद महासागर में ब्रिटेन की सीधी दखल बनी रहे. डिएगो गार्सिया को मिलाकर ब्रिटेन के पास करीब 14 ओवरसीज टेरीटरीज हैं, जो दुनिया के हरेक हिस्से में फैले हुए हैं. साल 1997 तक हांगकांग (HongKong) भी ब्रिटेन के कब्जे में था, जिसे चीन के हवाले कर दिया गया है.
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