नई दिल्ली: पटना साहिब लोकसभा सीट से एनडीए उम्मीदवार केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार को नामांकन दाखिल किया. उनके नामांकन के दौरान योग गुरु बाबा रामदेव भी मौजूद थे. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने दो दिन पहले बाबा रामदेव को नॉमिनेशन में शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया था. जिसको बाबा ने स्वीकार कर लिया. बाबा रामदेव ने कहा कि देश के विकास के लिए रविशंकर प्रसाद का जीतना बहुत जरूरी है. बाबा ने हर जाति के लोगों से रविशंकर प्रसाद को अपना आशीर्वाद देने की अपील की.


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योग गुरु ने कहा कि आम तौर पर वह नामांकन पत्र दाखिल करने के दौरान नेताओं के साथ नहीं रहते लेकिन यहां व्यक्तिगत संबंध के कारण आया हूं. बाबा ने कहा, वह सिर्फ प्रसाद के लिए यहां आए हैं क्योंकि उन्हें वह पाटलिपुत्र के लिये मंगलकारी मानते हैं जैसे मोदी (प्रधानमंत्री) देश के लिये हैं. बाबा रामदेव ने कहा कि रविशंकर प्रसाद काफी अच्छे व्यक्ति हैं, रामलाला के केस में वह अधिवक्ता भी रहे हैं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीख करते हुए योग गुरु ने कहा, “मोदी का सिर्फ एक एजेंडा है भारत को महाशक्ति बनाना. इस लक्ष्य की पूर्ति के लिये वह रोजाना 16-20 घंटा काम करते हैं. और उनका दिमाग एक तरफ केंद्रित है क्योंकि उनका कोई परिवार नहीं है न ही कोई अन्य भटकाव.” 


साध्वी प्रज्ञा के समर्थन में आए बाबा रामदेव
बाबा रामदेव ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के समर्थन में सामने आए और उन्हें एक राष्ट्रवादी करार देते हुए कहा कि महज संदेह के आधार पर उन्हें नौ सालों तक गिरफ्तार कर जेल के अंदर प्रताड़ित किया गया, जैसे वह कोई आतंकवादी हों. योग गुरु पटना साहिब लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद द्वारा पर्चा दाखिल करने के दौरान यहां पहुंचे थे. रामदेव ने यहां संवाददाताओं को बताया, “यह गुनाह की पराकाष्ठा थी. आपने सिर्फ संदेह के आधार पर एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया और नौ सालों तक उसे शारीरिक व मानसिक प्रताड़ना दी. उन्हें जिस तनाव से गुजरना पड़ा उससे वह शारीरिक रूप से कमजोर और कैंसर से प्रभावित हो गईं.


वह आतंकवादी नहीं बल्कि राष्ट्रवादी महिला हैं. ” मालेगांव बम धमाकों की आरोपी प्रज्ञा ठाकुर द्वारा 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए मुंबई एटीएस के पूर्व प्रमुख हेमंत करकरे को लेकर दिये गए बयान कि उनकी मौत उनके ‘शाप’ की वजह से हुई, के बारे में पूछे जाने पर रामदेव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमें महिला के प्रति कुछ संवेदना दिखानी चाहिए और उस व्यथा और कड़वाहट को समझने की कोशिश करनी चाहिए जिसकी वजह से उन्होंने ऐसा बयान दिया होगा. करकरे को उनके “हिंदू आतंकवादी” होने का संदेह था.