Delhi AIIMS: भारत के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में शामिल राजधानी दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मडिकल साइंस यानी एम्स में इन दिनों आए दिन कोई न कोई परेशानी खड़ी हो रही है. गुरुवार को हॉस्टल मैस में बनने वाले खाने की बदहाली की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं. दरअसल एम्स में काम करने वाले दो हजार के करीब रेजिडेंट डॉक्टर इसी हॉस्टल में ही रहते हैं, लेकिन हॉस्टल में आए दिन इन डॉक्टरों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. हालांकि पिछले कई महीनों से एक ऐसी परेशानी से इन डॉक्टरों का सामना हो रहा है, जिसमें वक्त रहते सुधारना नहीं लाया गया तो एम्स में मरीजों को ठीक करने वाले यह डॉक्टर खुद भी बीमार हो सकते हैं.


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क्या है डॉक्टरों का आरोप


एमके हॉस्टल नंबर 7 और आठ में रहने वाले रेजिडेंट डॉक्टर का आरोप है कि मैस में बन रहा खाना बेहद खराब क्वालिटी का है और उससे भी खराब हालातों में यह खाना बनाया जा रहा है. हॉस्पिटल नंबर 7 की मैथ की जो तस्वीर सामने आई है उनमें आलू सड़ चुके हैं. खीरे खुले में फैला हुआ है.  किचन को देखकर किसी के भी होश उड़ जाएंगे. 


एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स का दावा है कि हॉस्टल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को इन हालातों के बारे में पिछले कई वक्त से बताया जा रहा है, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ. डॉक्टरों की मैस को चला रहे वेंडर का कहना है कि उसके पैसे समय पर नहीं दिए जाते और उसे मुश्किल भरे हालात में काम करना पड़ रहा है.


इन तस्वीरों के सामने आने के बाद गुरुवार शाम को फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एक टीम एम्स के हॉस्टल की मैथ का निरीक्षण करने पहुंची और वहां से खाने के अलग-अलग सैंपल भी चेक करने के लिए लेकर गई है. एम्स में रहने वाले मेडिकल स्टूडेंट्स और रेजिडेंट डॉक्टर को उम्मीद है कि यह मामला प्रकाश में आने के बाद शायद हालात सुधर जाएं वरना खराब कंडीशन में बनाया जा रहा खाना खाने से वह कभी भी बीमार पड़ सकते हैं. 


एम्स के 3000 रेजिडेंट डॉक्टर में से दो हजार से ज्यादा को हॉस्टल नसीब हो पाता है. तकरीबन 800 से 1000 रेजिडेंट डॉक्टर बाहर किराए पर कमरा लेकर रहते हैं. इन रेजिडेंट डॉक्टर की ड्यूटी 24 घंटे से लेकर कई बार 72 घंटे तक की भी हो सकती है. अगर यह ड्यूटी इमरजेंसी जैसी भीड़ भाड़ वाले हालात की जगह में लग जाती है तो कई डॉक्टरों को पूरे दिन बैठने के लिए एक कुर्सी भी मिलना मुश्किल हो जाता है. ओपीडी में यह डॉक्टर जरूरत से ज्यादा मरीजों को रोजाना देखते हैं. इतने संघर्षों की ड्यूटी के बावजूद फिलहाल रेजिडेंट डॉक्टर खाने के हालात सुधारने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं. 


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