Phoolan Devi kidnapper Chheda Singh dies: डकैत से नेता बनीं दस्‍यु सुंदरी फूलन देवी के कथित अपहरण और उनके प्रेमी की हत्या के आरोपी छेड़ा सिंह की मौत हो गई है. 1980 में फूलन देवी का अपहरण करने के 52 साल बाद छेड़ा सिंह का टीबी से इटावा के सैफई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में निधन हो गया है. छेड़ा सिंह को साल 1998 में भगोड़ा घोषित किया गया था और 5 जून 2022 को औरैया जिले के भसौन गांव से गिरफ्तार किया गया था.


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बाबा के वेश में रहता था छेड़ा सिंह


छेड़ा सिंह (Chheda Singh) के ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम था और औरैया से गिरफ्तारी के बाद उसे इटावा जेल भेज दिया गया था. गिरफ्तार होने के बाद उसने पुलिस को बताया था कि वह चित्रकूट में जानकी कुंड के पास एक आश्रम में 'बाबा' बनकर रह रहा था, जहां उसने दो दशकों से अधिक समय तक वह सहायक के रूप में काम किया था.


27 जून को खराब हुई थी छेड़ा सिंह की तबीयत


इटावा जेल के वरिष्ठ अधीक्षक राम धानी ने बताया कि इटावा जेल में बंद रहने के दौरान छेड़ा सिंह की तबीयत 27 जून को बिगड़ गई, जिसके बाद उसे सैफई चिकित्सा सुविधा में शिफ्ट कर दिया गया. औरैया के पूर्व पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने कहा कि छेड़ा 20 साल की उम्र में चंबल के बीहड़ों में डकैतों के लालाराम गिरोह में शामिल हो गया था.


वह लालाराम और उसके भाई सीताराम के नेतृत्व वाले गिरोह के सबसे सक्रिय सदस्यों में से एक था. लालाराम ने अपने प्रतिद्वंद्वी गिरोह के नेता विक्रम मल्लाह को मार दिया और मल्लाह के गिरोह के सदस्य फूलन देवी का 1980 में अपहरण कर लिया. उसके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया. बाद में फूलन ने 14 फरवरी 1981 को बेहमई हत्याकांड को अंजाम देकर 21 लोगों की हत्या कर दी थी. छेड़ा और अन्य ने जून 1984 में औरैया जिले के अस्ता में बेहमई हत्याओं का बदला लेने के लिए 16 लोगों को मार दिया.


छेड़ा सिंह ने खुद को कर दिया था मृत घोषित


पुलिस अधिकारी ने कहा, 'छेड़ा सिंह (Chheda Singh) बहुत चालाक था. उसने पेपर्स पर उसने खुद को मृत दिखाया था और पूरी संपत्ति अपने भाई अजय सिंह को दे दी थी.' वह हत्या, डकैती, अपहरण और जबरन वसूली के 20 से अधिक मामलों में वांछित था. छेड़ा को 1998 में अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था.


गिरफ्तारी के समय पुलिस ने छेड़ा सिंह (Chheda Singh) के पास से ब्रज मोहन के नाम से बने एक पैन कार्ड, एक आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों सहित फर्जी आईडी बरामद की थी. हालांकि पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से उसकी असली पहचान का पता लगाया.


फूलन देवी ने 1983 में किया था आत्म समर्पण


फूलन देवी (Phoolan Devei) ने बेहमई हत्याकांड दो साल बाद गिरोह के कुछ सदस्यों के साथ 1983 में आत्मसमर्पण कर दिया. फूलन देवी पर कई हत्याओं, लूट, आगजनी और फिरौती के लिए अपहरण सहित 48 अपराधों का आरोप लगाया गया था. आत्मसमर्पण के बाद 11 साल फूलन देवी ने जेल में बिताए.


फूलन देवी की राजनीति में एंट्री


साल 1994 में समाजवादी पार्टी के मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने फूलन देवी (Phoolan Devei) के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिए और रिहा कर दिया गया. साल 1996 के चुनाव में सपा ने फूलन देवी को मिर्जापुर से मैदान में उतारा. वह 1999 में फिर से सांसद चुनी गईं. साल 2001 में शेर सिंह राणा ने नई दिल्ली में उनके आधिकारिक बंगले के पास उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)



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