Bangalore Kick Boxing Incident: मैसूरु के रहने वाले 62 साल के रमेश पी के हाथ आज खाली हैं. वो अपने होनहार 23 साल के बेटे निखिल (Kick Boxer Nikhil) को खो चुके है. निखिल किक बॉक्सिंग (Kick Boxing) का उभरता हुआ खिलाड़ी था. 23 साल की उम्र में उसने स्थानीय कई प्रतियोगिताओं को जीत कर नाम कराया था. वो खुद का भविष्य किक बॉक्सिंग में तलाश रहा था. यही वजह थी की वो पिछले कुछ दिनों से राज्य स्तरीय टूर्नामेंट में भी भाग लेने लगा था. 


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9-10 जुलाई को बैंगलुरु में आयोजित हुआ मुकाबला


इसी तरह का एक टूर्नामेंट 9-10 जुलाई को बैंगलुरु Bangalore में आयोजित था. दोनो ही दिन उसका प्रदर्शन अच्छा था पर रविवार को उस आखिरी मुकाबले में वो ना सिर्फ खेल में नॉक आउट हुआ बल्कि जिंदगी से भी वो नॉक आउट हो गया. उस आखिरी मुकाबले में निखिल (Kick Boxer Nikhil) के चेहरे पर उसके प्रतिद्वंद्वी ने एक पंच मारा. पंच जोरदार था, जिससे निखिल नीचे गिर गया. उसका सिर मैट से टकराया और उसके बाद वो उठ नहीं सका. आयोजकों को जब स्थिति का आभास हुया तो वो उसे ले कर अस्पताल भागे. 


पंच लगने से चली गई खिलाड़ी की जान


निखिल (Kick Boxer Nikhil) के पिता के मुताबिक आयोजन की जगह पर उस समय लाइफ सपोर्ट की कोई व्यवस्था नही थी. डॉक्टर तो दूर ना स्ट्रेचर मिली ना ऑक्सीजन और ना ही एम्बुलेंस. 5वीं मंजिल से गोद मे ले कर उसे तीसरी मंजिल तक लाया गया, जहां पर लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध थी. उसके बाद उसे एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया. वहां पर 2 दिनों तक निखिल कोमा में रहा. इसके बाद बुधवार को निखिल का इलाज कर रहे डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.


आयोजकों के खिलाफ दर्ज हुआ केस


निखिल (Kick Boxer Nikhil) की मौत की वजह क्या खेल है या खेल के आयोजन में बरती गई लापरवाही? निखिल के पिता की शिकायत पर बैंगलुरु पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ लापरवाही का मामला दर्ज किया है. केस दर्ज होने के बाद से दोनों आयोजक फरार है और घटनास्थल को सील कर दिया गया है. बैंगलुरु के मशहूर न्यूरो सर्जन के मुताबिक बॉक्सिंग (Kick Boxing) और किक बॉक्सिंग के खेल में हेड इंजुरी की काफी संभावना होती है. ठोस नजर आने वाला सिर दरअसल एक आवरण की तरह है. इसके अंदर तैरता हुआ दिमाग है. अगर सिर किसी ठोस हिस्से से टकरा जागे तो इसका इम्पेक्ट दिमाग पर पड़ता है. इस तरह हुई इंजुरी कई तरह की होती है. कई बार आप बेहोश होते है, वहीं कई बार इसका असर याददाश्त पर भी पड़ता है.


डॉक्टर कहते हैं कि अगर सुरक्षा की जानकारी और इंतजाम पहले से हो तो कम से कम इस तरह के हादसे रोके जा सकते है. उन्होंने कहा कि युवाओं को खेल से रोकना इसका हल नही हो सकता क्योंकि खेल कोई भी हो हमारी युवा पीढ़ी उससे बहुत सीखती है . खेल में चोट लगना भी एक स्वाभविक प्रक्रिया है.


घटना के बाद से निढ़ाल है बेबस पिता


निखिल (Kick Boxer Nikhil) के पिता रमेश पी कहते हैं, 'खेल शनिवार और रविवार को थे. शनिवार को मेरा बेटा अपने असिस्टेंट टीचर के साथ गया. खेल के दौरान उसने कहा कि उसे चक्कर आ रहे हैं. ये बात उसने मुझे नहीं किसी और को कही. ऐसा लगता है वो तनाव में था. इसके बाद रविवार को भी मैच थे, जिससे उसका तनाव बढ़ गया. अपने आखिरी मैच में वो गिर पड़ा. मुझे लगता है कि वो वहीं मर चुका था. फिर भी उसे अस्पताल ले जाया गया. उन्होंने पूरे केस को गलत तरीके से ट्रीट किया. वहां कोई एम्बुलेंस नहीं थी, ऑक्सीजन नही थी. सुरक्षा के कोई साधन वहां उपलब्ध नही थे. खेल भी बिल्डिंग की 5वीं मंजिल पर हो रहे थे. उसे वहां से उठा कर लाए, उसे बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा. उसे किसी तरह की जीवन रक्षक मदद नहीं मिली, जो उस समय बहुत जरूरी थी. मुझे लगता है कि यही वो वजह है जिसके कारण मौत हुई है. यदि ऑक्सीजन भी मिल जाती तो शायद इतनी दिक्कत ना होती.'


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