नई दिल्ली: देश के 69वें गणतंत्र दिवस की शाम बेहद गर्मजोशी और देशभक्ति भरे वातावरण में वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट का आयोजन हुआ. आपको बता दें कि गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत-पाकिस्तान की सीमा पर होने वाली इस बीटिंग रिट्रीट को देखने काफी लोग पहुंचते हैं. 45 मिनट लंबी बीटिंग रिट्रीट में भारत के जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के सामने अपनी ताकत की नुमाइश की. इस दौरान भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की तरफ भारी संख्या में दर्शक मौजूद थे. दर्शक दीर्घा में दोनों ही तरफ से देशभक्ति भरे नारे लगाए जा रहे थे. पूरा इलाका भारत माता की जय और जय हिन्द जैसे नारों से गूंज रहा था.


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कड़ी मशक्कत करते हैं जवान
आपको बता दें कि, बीटिंग रिट्रीट के लिए देश के जवानों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. परेड के दौरान इन जवानों के पैर खुद के सर के बराबर उठते हैं. यही वजह है कि इन जवानों के परेड को देखने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग वाघा बॉर्डर पर पहुंचते हैं. इस दौरान जवान अपनी मूंछों और सिर पर लगी पगड़ी का खास ख्याल रखते हैं.



अब देश की बेटियां भी होती हैं शामिल
बीएसएफ की महिला जवान भी अब सरहद पर देश की बेटियों का प्रतिनिधित्व करती हैं. साल 2008 के बाद बीएसएफ में महिला जवानों को शामिल करने की परंपरा शुरू हुई थी. जिसके कुछ साल बाद ही बीटिंग रिट्रीट में भी महिलाएं दिखने लगीं. शुक्रवार की बीटिंग रिट्रीट में भी दो महिला जवान सरहद पर गेट के बिलकुल नजदीक ही खड़ी नजर आ रही थीं.


झंडे उतारने से पहले मिलाते हैं हाथ
भारत और पाकिस्तान के जवान बीटिंग रिट्रीट के दौरान सिर्फ एक बार एकदूसरे को टच करते हैं. दोनों देशों के जवान सिर्फ झंडे को उतारने से पहले ही आपस में हाथ मिलाते हैं. बाकी समय दोनों देशों के जवान गुस्से भरी नजरों से एकदूसरे को देखते हुए नजर आते हैं.


इस बार नहीं हुआ मिठाई का आदान-प्रदान
खबर है कि बीएसएफ ने इस बार गणतंत्र दिवस की सालों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पाकिस्तान रेंजरों के साथ मिठाई के आदान-प्रदान से इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि बीएसएफ से ने पाकिस्तान द्वारा हालिया किए गए संघर्ष विराम के उल्लंघनों की वजह से इतना कड़ा फैसला लिया. आपको बता दें कि दोनों देशों के सैनिक, ईद और दिवाली जैसे प्रमुख धार्मिक त्योहारों पर और दोनों देशों के स्वतंत्रता दिवसों और भारत के गणतंत्र दिवस के दौरान पिछले कई सालों से मिठाइयों का आदान-प्रदान करने की एक परंपरा का पालन कर रहे थे.