कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (TMC) और राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Governor Jagdeep Dhankhar) के बीच विवाद थमने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है. रविवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee) ने आरोप लगाया है कि नारदा मामले (Narada case) में पार्टी के 4 वरिष्ठ नेताओं को राज्यपाल के इशारे पर गिरफ्तार किया गया है. इतना ही नहीं बनर्जी ने पार्टी समर्थकों से अपील की है वे राज्यपाल धनखड़ के खिलाफ मामला दर्ज कराएं. 


सांसद की टिप्‍पणी से हैरान हैं राज्‍यपाल 


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राज्‍यपाल धनखड़ ने कहा है कि वह सांसद कल्‍याण बनर्जी की ऐसी टिप्पणियों से स्तब्ध हैं. उन्‍होंने ट्वीट कर कहा, 'वह टीएमसी के वरिष्‍ठ पदाधिकारी, सांसद और वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता हैं. मैं उनकी टिप्‍पणी से स्‍तब्‍ध हूं लेकिन इस मामले को पश्चिम बंगाल के सुसंस्कृत लोगों और मीडिया के विवेक पर छोड़ रहा हूं.' 


 



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वहीं टाइम्‍स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक बनर्जी ने कहा कि वह जानते हैं संविधान के अनुसार, राज्यपाल के खिलाफ तब तक कोई आपराधिक कार्यवाही शुरू नहीं की जा सकती जब तक कि वह अपना पद छोड़ नहीं देते. लिहाजा मैं बंगाल के सभी लोगों से अपील करता हूं कि वह अपने संबंधित पुलिस थानों में शिकायत दर्ज करें, ताकि इस शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज हो सके. 


पद से हटने के बाद भेजा जाए जेल 


बनर्जी ने कहा, 'जब धनखड़ राज्‍यपाल के पद से हट जाएंगे तो उन्‍हें बंगाल के धर्मनिरपेक्ष माहौल को बिगाड़ने के लिए इस एफआईआर के आधार पर जेल भेजा जा सकेगा.' सांसद ने आरोप लगाया कि राज्यपाल राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर भड़काऊ संदेश दे रहे हैं और हिंसा भड़का रहे हैं.


वहीं बनर्जी की ऐसी टिप्‍पणियों पर बंगाल बीजेपी के प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने निशाना साधते हुए कहा, 'वह एक लोकसभा सांसद और एक वकील हैं और वह एक संवैधानिक मुखिया पर हमला कर संविधान पर ही हमला कर रहे हैं. चूंकि वह पार्टी के एक वरिष्ठ नेता हैं, इसलिए हमें यह मान लेना चाहिए कि तृणमूल संविधान को बदनाम करने के प्रयासों का समर्थन करती है.'


राज्‍यपाल ने कराईं गिरफ्तारियां 


बनर्जी का कहना है, 'नारदा मामले में राज्यपाल ने चारों नेताओं की गिरफ्तारी कराई है, क्योंकि उन्होंने 7 मई को सीधे ही सीबीआई को अपनी मंजूरी दी थी. राज्यपाल ने ही चारों को गिरफ्तार करने की पहल की. जनवरी 2021 में सीबीआई ने मंजूरी मांगी थी और इस मामले पर कैबिनेट में चर्चा की जानी थी लेकिन गलत मकसद के साथ इसे राज्यपाल के पास भेज दिया गया था.'