'भारत माता की जय'  नारा लगाने के लिए किसी भी भारतवासी को ना तो किसी की इजाजत लेने की जरूरत है और ना ही कोई किसी को भारत माता की जय बोलने से रोक सकता है. लेकिन कांग्रेस में भारत माता की जय के नारे लगाए जाने से पहले हाईकमान से इजाजत लेनी पड़ती है.  शायद ऐसा इसलिए है क्योंकि कर्नाटक के कलबुर्गी विधायक लक्ष्मण सावदी भारत माता की जय के नारे लगाने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे से इजाजत मांग रहे हैं और ये उम्मीद भी जता रहे हैं कि इससे खडगे जी को कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन सवाल ये है कि खडगे जी को दिक्कत क्यों होगी?


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क्या कांग्रेस आलाकमान ने भारत माता की जय के नारे ना लगाने की कोई इंटरनल एडवाइजरी जारी की हुई है? क्या कांग्रेस आलाकमान ने भारत माता की जय के नारे लगाने पर रोक लगाई हुई है? क्या कांग्रेस आलाकमान को भारत माता की जय के नारे से वोट कटने का डर है?  ये सवाल इसलिए भी पूछा जाना चाहिए क्योंकि ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत माता की जय के नारे पर कांग्रेस को मिर्ची लगी हो.


पिछले वर्ष सितंबर में राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान जयपुर में कांग्रेस की चुनाव पर्यवेक्षक आराधना मिश्रा का भी एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भारत माता की जय के नारे लगाने से रोक रही थीं और कह रहीं थी कि नारे लगाने हैं तो भारत माता की जय के नहीं बल्कि कांग्रेस जिंदाबाद के नारे लगाइये..


भारत माता की जय के नारे पर क्या दिक्क्त
समझ में आ रहा होगा कि भारत माता की जय के नारे पर कांग्रेस की क्या लाइन है. और आपके दिमाग में ये सवाल भी उठ रहा होगा कि जो कांग्रेस. भारत जोड़ो के नाम पर राजनीतिक यात्राएं करती है..उस कांग्रेस को भारत माता की जय के नारे से इतना परहेज क्यों है? इस सवाल पर कांग्रेस का आलाकमान चुप्पी साध जाता है..लेकिन बीजेपी को कांग्रेस पर आरोप लगाने का मौका मिल जाता है.


विडंबना देखिये..जो कांग्रेस खुद को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नायक बताते नहीं थकती. राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा करते हैं. उस कांग्रेस पार्टी ने भारत माता की जय के नारे से इतना बैर क्यों पाला हुआ है? दरअसल ये पूरा मामला राजनीतिक है.
बीजेपी कहती है कि ये नारा देश के लिए समर्पण भाव को दिखाता है.
लेकिन कांग्रेस कहती है इस नारे का मकसद देश का भगवाकरण करना है.


इसलिए बीजेपी की रैलियों, सभाओं और बैठकों में भारत माता की जय के नारे गूंजते हैं और कांग्रेस के मंच से इस नारे को लगाने में हिचकिचाहट महसूस की जाती है..इसका असर ये हुआ है कि देश के स्वाधीनता आंदोलन में जो नारा हिंदू और मुसलमान..एक आवाज में लगाते थे..अब ये नारा..दोनों समुदायों के बीच तनाव की वजह बन जाता है. इससे एक बात तो स्पष्ट है कि भारत माता की जय के नारे का पूरी तरह राजनीतिकरण हो चुका है.


भारत माता की जय कहने वाला बीजेपी समर्थक और भारत माता की जय का नारा नहीं लगाने वाला कांग्रेस समर्थक. भारत माता की जय का नारा..बीजेपी को हिंदू वोटर्स से जोड़ता है. भारत माता की जय के नारे से किनारा..कांग्रेस को मुस्लिम वोटर्स से जोड़ता है.


विडंबना देखिये कि कभी देश के स्वतंत्रता आंदोलन की पहचान बना बना भारत माता की जय का नारा..अब देश हिंदू और मुस्लिम वर्ग के बीच बंटवारे का जरिया बन चुका है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान ऐसी घटनाएं हुईं हैं जब मुसलमानों को जबरदस्ती भारत माता की जय का नारा लगवाने के लिए मजबूर किया गया है. और ऐसा नहीं करने पर मुस्लिम लोगों पर हमले और बदसलूकी भी हुई है.


भारत माता की जय का नारा लगाने में कांग्रेस की हिचकिचाहट की एक बड़ी वजह ये भी है कि इससे कांग्रेस को अपना मुस्लिम वोट बैंक खिसकने की चिंता सताती है..लेकिन बीजेपी ने इस नारे को कैसे देशप्रेम का मानक बना दिया है..इसका एक उदाहरण आपको दिखाते हैं.


3 फरवरी को केरल के कोझिकोड में केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी एक युवा सम्मेलन में शिरकत करने पहुंची. तो इस बात पर गुस्सा हो गईं कि वहां मौजूद दर्शकों में कुछ लोग भारत माता की जय के नारे नहीं लगा रहे थे. एक लड़की को तो उन्होंने गुस्से में बाहर जाने तक के लिए बोल दिया.


बीजेपी नेता भारत माता की जय के नारे को लेकर कितने Aggressive हैं ये आपने देखा..और इसी नारे को लेकर कांग्रेस कितनी उदासीन है..ये भी आपको हमने दिखाया है. दरअसल दोनों ही पार्टियों की इस नारे को लेकर अपना-अपना राजनीतिक एजेंडा है.



बीजेपी के लिए भारत माता की जय के नारे का मतलब है - राष्ट्रवाद और देशप्रेम वहीं कांग्रेस के लिए भारत माता की जय के नारे का मतलब है - हिंदुत्ववाद और भगवाकरण


यही वजह है कि बीजेपी इस नारे का इस्तेमाल..हर जगह करती है और कांग्रेस इस नारे से बचती है. और दोनों की रणनीति की सिर्फ एक ही वजह है - इस नारे को लगाने से मुस्लिमों का इंकार..जिसके पीछे भी असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम नेताओं की राजनीति है..जो भारत माता की जय का नारा ना तो लगाते हैं..और मुस्लिमों को ये नारा ना लगाने के लिए उकसाते भी हैं.


कोई पार्टी कहती है कि वो जोर-शोर से भारत माता की जय के नारे को लगाएगी क्योंकि ये नारा देश के लिए समर्पण भाव को दिखाता है तो कोई पार्टी कहती है कि वो इस नारे को नहीं लगाएगी क्योंकि इस नारे का मकसद देश का भगवाकरण करना है. तो कोई कहता है कि वो भारत माता की जय नहीं बोलेगा क्योंकि ऐसा करना संविधान में नहीं लिखा है. लेकिन हमारा मानना है कि भारत माता की जय बोलना या ना बोलना..हर नागरिक की अपनी पसंद होनी चाहिए. जिसे ये नारा लगाना है वो लगाए..जिसे नहीं लगाना है, वो ना लगाए. लेकिन इस नारे पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए.


और यही महात्मा गांधी के भी विचार थे. 8 सितंबर, 1920 को यंग इंडिया के एक लेख में महात्मा गांधी ने लिखा था..
देश के लोगों के बीच एकता को मजबूत बनाने के लिए तीन नारे लगाने चाहिए. अल्लाह हू अकबर, भारत माता की जय और हिंदू-मुसलमान की जय. गांधी ने जी ने कहा था कि इन तीन नारों को क्रमबद्ध तरीके से लगाने में किसी को समस्या नहीं होनी चाहिए. महात्मा गांधी ने ये भी कहा था कि बिना हिंदू मुसलमान की जय का नारा लगाए भारत माता की जय का नारा अधूरा है. लेकिन गांधी जी ये भी मानते थे कि किसी पर भी कोई नारा थोपा नहीं जाना चाहिए.


यानी गांधी जी भी मानते थे कि भारत माता की जय के नारे पर किसी एक समुदाय या वर्ग का Copyright नहीं है..और ना ही भारत माता की जय का नारा ना लगाना कोई अपराध है.


लेकिन आज इस नारे का इतना ज्यादा राजनीतिकरण हो चुका है कि मुसलमान मानने लगे हैं कि भारत माता की जय का नारा उनपर थोपा जा रहा है. और हिंदुओं के मन में ये भरा जा रहा है कि ये नारा ना लगाने वाला देशप्रेमी नहीं है.


सोचिये. भारत माता की जय का नारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम का सबसे बुलंद नारा था. उस दौरान में हिंदू और मुसलमान दोनों एक साथ इस नारे को लगाते थे. लेकिन आज इस नारे पर विवाद हो रहे हैं. इस नारे को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है..ये बेहद शर्म की बात है..