Man crushed by tractor in Bharatpur: भरतपुर में दो पक्षों के बीच विवादित जमीन को लेकर हुए झगड़े में एक शख्स की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई. राजस्थान में चुनाव है इसलिए इस मामले पर जमकर सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी कांग्रेस शाषित राज्यों में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर उसे घेर रही है. इस मामले को लेकर एक के बाद एक कई बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी नेता संबित पात्रा ने अपनी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजस्थान में कानून के राज पर सवाल उठाते हुए कहा, 'बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कहा कि राजस्थान में भरतपुर के बयाना में ट्रेक्टर एक युवक पर चढ़ जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है. ये आज पूरे राजस्थान का विषय है. प्रियंका आज राजस्थान जा रही है. उनसे मांग है कि भरतपुर की घटना के उस गांव में जाएं. वहां के SP, DM और अन्य अधिकारियों को बर्खास्त करवाने के लिए अपनी सरकार को कहें.' 


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'पीएम ने भी कानून व्यवस्था पर गहलोत सरकार को घेरा था'


भरतपुर में हुए मर्डर (Bharatpur Murder) ने सूबे की सियासत को गर्मा दिया है. इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने भी राजस्थान की अपनी जनसभा में कन्हैया लाल हत्याकांड का मुद्दा उठाते हुए राजस्थान सरकार को सुरक्षा के मुद्दे पर घेरा था. वहीं कुछ दिन पहले अलवर में हिंदू युवक की हत्या को भी राजस्थान की कानून व्यवस्था से जोड़ते हुए देखा गया था. 


क्या है एसपी-डीएम को बर्खास्त करने के नियम


प्रशासनिक सेवाओं में किसी शहर की जिम्मेदारी एक आईएस (IAS) अफसर यानी डीएम को दी जाती है. वहीं उस शहर की कानून व्यवस्था SSP के कंधों पर होती है. अक्सर इन पदों पर आईपीएस अफसरों को तैनात किया जाता है. सिविल सेवाओं से जुड़े कुछ ऐसे सवाल भी हैं जिसके बारे में बहुत लोगों को पता नहीं होता है. जैसे कि आईएएस अफसर को कौन हटा सकता है या बर्खास्त कर सकता है या उन्हें सस्पेंड करने का अधिकार किसके पास होता है? तो चलिए आज आप लोगों को बताते हैं निलंबित करने का अधिकार किसके पास होता है?


कैसे होती है बर्खास्तगी?


सियासत में विपक्षी पार्टियां अक्सर डीएम-एसपी को बर्खास्त करने की मांग करती हैं. ऐसे में सवाल है कि राज्य सरकार अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पर ऐक्शन कैसे ले सकती है जबकि इन अफसरों की नियुक्ति कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के दायरे में होती है. आइए हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसे किसी IAS अफसरों पर कोई राज्य सरकार कैसे और किस तरह से ऐक्शन ले सकती है. इसको लेकर संविधान में क्या कानून हैं? डीएम (DM) यानी किसी जिले के हर विभाग पुलिस से लेकर हर सरकारी विभाग तक पर उसकी कमांड होती है. इसके अलावा केंद्र में भी सभी मंत्रालयों के सचिव IAS अधिकारी ही होते हैं. यह प्रशासनिक व्यवस्था अंग्रेजों ने बनाई थी जो अभी तक चली आ रही है. इसे हेवन बॉर्न सर्विस (Heaven Born Service) भी कहते हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा (तथा भारतीय पुलिस सेवा) में सीधी भर्ती संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की ओर से आयोजित सिविल सेवा परीक्षा से की जाती है और इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है.


'राज्य सरकार आईएएस या आईपीएस अफसर को बर्खास्त नहीं कर सकती'


किसी आईएएस अफसर यानी डीएम पर एक्शन लेना आसान नहीं होता है. भारत की कोई भी राज्य सरकार किसी आईएएस अधिकारी को सस्पेंड या उसका ट्रांसफर कर सकती है. बर्खास्तगी का अधिकारी राज्य सरकार के पास नहीं है. केंद्र सरकार इस व्यवस्था को भारतीय गजट में अधिसूचित करती है इसिलिए ये अफसर भी गजेटेड अधिकारी भी कहलाते है. यानी इसका सीधा मतलब है कि राष्ट्रपति के सिवाय इन अधिकारियों को कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता है. राज्य सरकार भी इनको सिर्फ निलंबित ही कर सकती है, बर्खास्तगी का अधिकार राज्य सरकार के पास भी नहीं है.


ऐसे में समझा जा सकता है कि राजनीतिक दल सियासत में आईएएस और आईपीएस की बर्खास्तगी की मांग करना अलग बात है, जबकि ऐसा करना राज्य सरकार के पावर में नहीं होता है. हालांकि राज्य की पुलिस उस प्रदेश के गृह विभाग के आधीन होती है. ऐसे में पुलिस अफसरों की बदली संभव है लेकिन बर्खास्तगी नहीं. आईपीएस अफसरों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के मातहत आने वाली एजेंसियों में भी तैनात किया जा सकता है.