Who is Protem Speaker: सात बार के सांसद भर्तुहरि मेहताब प्रोटेम स्पीकर होंगे. लोकसभा का विशेष सत्र 24 जून से शुरू होगा. संविधान के आर्टिकल 95 (1) के तहत जब तक स्पीकर का चुनाव नहीं होता तब तक मेहताब प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी संभालेंगे. राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत सुरेश कोडिकुन्निल, थलिक्कोट्टई राजुथेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को लोकसभा स्पीकर के चुनाव तक नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की मदद करने के लिए नियुक्ति किया गया है. 


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गौरतलब है कि देश को एक दशक के बाद फिर से गठबंधन सरकार चल रही है. लिहाजा स्पीकर का चुनाव पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए ही बेहद अहम है. 


क्या करता है प्रोटम स्पीकर


प्रोटेम स्पीकर को लोकसभा स्पीकर के चुने जाने तक संसद की हर रोज की कार्यवाही देखनी होगी. यह अस्थायी पद है. ये नए सांसदों को शपथ भी दिलाएंगे. प्रोटेम स्पीकर को लोकसभा का पीठासीन अधिकारी भी कहा जाता है. 


खास बात ये है कि प्रोटेम स्पीकर के बारे में संविधान में कुछ लिखा नहीं है. मगर संसदीय कार्य मंत्रालय की आधिकारिक हैंडबुक में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण के बारे में लिखा है. प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं और उसके बाद बाकी सदस्य शपथ ग्रहण करते हैं. 



प्रोटेम स्पीकर कैसे चुना जाता है?


चूंकि यह अस्थायी पद है. इसलिए इसके लिए लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को चुना जाता है. सीनियर होने का मतलब उम्र से नहीं बल्कि इस बात ये है कि वह सदन में कितने वक्त से है. जब एक नई सरकार बनती है तो संसद में लोकसभा स्पीकर का पद खाली हो जाता है. इसके बाद केंद्र सरकार के लेजिस्लेटिव सेक्शन की जिम्मेदारी होती है लिस्ट तैयार करने की. वह उन सभी मेंबर्स के नाम लिखता है, जो सीनियर हों. यह सूची फिर प्रधानमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री को भेजी जाती है. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर को चुना जाता है. जब पीएम हामी भर देते हैं, तब संसदीय कार्यमंत्री उस पर ठप्पा लगा देते हैं और वह नाम राष्ट्रपति को भेजकर मंजूरी मांगी जाती है. इसके बाद राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाते हैं.


क्या होती हैं शक्तियां?


गौरतलब है कि लोकसभा स्पीकर के विपरीत प्रोटेम स्पीकर के पास किसी तरह के अधिकार नहीं होते हैं. संसद ही नहीं विधानसभा में भी यही फॉर्मूला अपनाया जाता है. जब तक स्पीकर का चुनाव नहीं होता, तब तक उनकी नियुक्ति की जाती है.