लोगों को बड़ा जीवन नहीं, बड़ी गाड़ी चाहिए; चौंका देगी LAMBORGHINI की कहानी
इस महामारी में लोगों ने ये महसूस किया है कि जीवन क्षणभंगुर है यानी क्षण में खत्म होने वाला है. लेकिन मृत्यु निश्चित है और मृत्यु समय की पाबंद है यानी Punctual है. इसलिए जब तक मृत्यु आए, उससे पहले हर दिन को जीना और ये सोच कर जीना कि जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है.
नई दिल्ली: हम आपको छोटे-छोटे शहरों की बड़ी-बड़ी गाड़ियों के बारे में बताएंगे. एक नई रिपोर्ट में ये पता चला है कि कोविड के बाद से भले ही आम लोग पैसा बहुत सोच समझ कर खर्च कर रहे हैं लेकिन भारत के छोटे शहरों में Lamborghini गाड़ी की सेल में जबरदस्त उछाल आया है. अब हर हफ्ते भारत में एक नई Lamborghini गाड़ी बिकती है. Lamborghini की एक गाड़ी की कीमत 4 से 6 करोड़ रुपये के बीच होती है.
छोटे शहरों में बड़ी गाड़ी की चाहत
भारत में इस साल Lamborghini ने 52 से ज्यादा गाड़ियों की बिक्री की है. यानी इस हिसाब से हर हफ्ते एक भारतीय ने एक Lamborghini खरीदी है. यहां हैरानी की बात ये है कि इन गाड़ियों को खरीदने वाले 25 प्रतिशत लोग लुधियाना, जयपुर, इंदौर, कानपुर, गुवाहाटी और सूरत जैसे छोटे शहरों से थे, जिनके लिए ये माना जाता है कि इन शहरों में निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग रहता है. यहां ज्यादातर लोग साइकिल से मोटर साइकिल लेने के ही सपने देख पाते हैं. लेकिन ये खबर बताती है कि छोटे शहरों में बड़ी गाड़ी रखना अब एक Status Symbol बन गया है.
इस खबर से आज आप दो बातें सीख सकते हैं. एक तो ये कि कोविड के बाद भारत के लोगों ने YOLO के मंत्र को अपना लिया है. अंग्रेजी भाषा में YOLO का अर्थ है You Only Live Once यानी आप जिन्दगी में सिर्फ एक ही बार जीते हैं. जब से कोविड आया है, तब से बहुत सारे लोगों ने इसे फॉलो करना शुरू किया है. क्योंकि इस महामारी में लोगों ने ये महसूस किया है कि जीवन क्षणभंगुर है यानी क्षण में खत्म होने वाला है. लेकिन मृत्यु निश्चित है और मृत्यु समय की पाबंद है यानी Punctual है. इसलिए जब तक मृत्यु आए, उससे पहले हर दिन को जीना और ये सोच कर जीना कि जिन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है.
जेब नहीं, जीवन के हिसाब से चल रहे लोग
कोविड से पहले लोग कहते थे कि जीवन बहुत बड़ा है. वो भविष्य में एक महंगी और बड़ी खरीदेंगे या एक बड़ा सा घर खरीदेंगे या कोई बड़ा काम शुरू करेंगे. उनकी बातों में भविष्य को लेकर योजनाएं होती थीं. लेकिन आज समय बदल गया है. अब लोग ये नहीं कहते कि वो भी एक दिन Lamborghini खरीदेंगे बल्कि वो Lamborghini खरीद लेते हैं, चाहे इसके लिए उन्हें बैंकों से ज्यादा ब्यार पर भी लोन ही क्यों ना लेना पड़े. यानी अब लोग जेब से नहीं जीवन के हिसाब से चलने की कोशिश करने लगे हैं. क्योंकि उन्हें पता है कि जीवन कभी भी स्थायी नहीं होगा. आज के लोग वर्तमान में रहते हैं.
दूसरी सीख इस खबर में ये है कि अब छोटे शहरों की आकांक्षाएं भी बड़ा रूप ले रही हैं. पहले दिल्ली और मुम्बई जैसे बड़े शहरों में किसी Traffic Signal पर कोई Luxury कार आकर रुकती थी, तो लोग कहते थे कि वाह क्या कार है. आज से कुछ दशक पहले तक ऐसी गाड़ियों को देखने के लिए सड़कों पर लोगों की भीड़ जुट जाती थी. लेकिन जब समय के साथ सड़कों पर ऐसी गाड़ियां दिखना आम हो गया. तो इन बड़े शहरों में लोगों के बीच इन गाड़ियों के प्रति ये आकर्षण कम होने लगा. लेकिन छोटे शहरों में ये आकर्षण आज भी है. आज दिल्ली और मुम्बई जैसे शहरों में भले महंगी गाड़ी देख कर लोग एक बार को नजरअन्दाज कर दें लेकिन कानपुर और लुधियाना जैसे छोटे शहरों में इतनी बड़ी गाड़ी को नजरअन्दाज करना आसान नहीं है.
बड़े शहरों जैसे हैं ख्वाब
इन शहरों में ये गाड़ियां ना सिर्फ उस व्यक्ति की हैसियत बताती हैं. बल्कि दूसरे लोगों को भी असहज कर देती हैं. जो लोग बाइक पर होते हैं या छोटी गाड़ी में होते हैं, उनके लिए ये कार किसी सपने से कम नहीं होती. आपने देखा होगा कि कई बार लोग इन गाड़ियों को देखने के बाद अपने कपड़े और अपनी गाड़ी देखने लगते हैं. क्योंकि वो अपनी हैसियत के बारे में सोचने लगते हैं. कुल मिला कर कहें तो आज छोटे शहरों के लोग भी बड़े शहरों जैसा दिखना चाहते हैं, उनकी तरह बोलना चाहते हैं और उनके जैसे बड़े घरों में रहना चाहते हैं. जिससे उनकी आकांक्षाओं के बारे में पता चलता है.
भारत में आज भी 54 गाने ऐसे हैं, जिनमें Lamborghini गाड़ी शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा पंजाबी भाषा में इस गाड़ी के नाम से एक गाना पिछले साल काफी वायरल हुआ था, जिस पर आज तक वीडियो बनाए जाते हैं. इससे आप समझ सकते हैं कि हमारे देश का मूड क्या है. आज कल लोग भविष्य में नहीं बल्कि वर्तमान में जी रहे हैं. वो लम्बे जीवन के बारे में नहीं बल्कि बड़ी Lamborghini के बारे में सोचते हैं. आज आपको ये तय करना है कि आपको बड़ा जीवन चाहिए या बड़ी गाड़ी चाहिए?