Supreme Court on Bihar Caste Census: जातीय जनगणना पर बिहार सरकार को बड़ा झटका लगा है और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने जाति आधारित सर्वे (Bihar Caste Census) पर पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) की ओर से लगाई गई अंतरिम रोक को हटाने से इनकार कर दिया है. बता दें कि पटना हाई कोर्ट द्वारा इस जनगणना पर रोक लगाए जाने के बाद हाल ही में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार (Bihar Govt) से कहा कि हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 3 जुलाई रखी है और आप अपनी बात वही रखें. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 14 जुलाई को सुनवाई कर सकता है.


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राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी ये दलील


पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) के 4 मई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा था कि जातीय जनगणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है.


संविधान का अनुच्छेद 15 कहता कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा. वहीं, अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे.


80 फीसदी काम कर लिया गया है पूरा


इसके साथ ही बिहार सरकार ने अपनी याचिका में यह भी दलील दी थी कि जनगणना का 80 फीसदी काम पूरा कर लिया गया है. बिहार सरकार ने याचिका में कहा, 'राज्य ने कुछ जिलों में जातिगत जनगणना का 80 फीसदी से अधिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया है और 10 फीसदी से भी कम काम बचा हुआ है. पूरा तंत्र जमीनी स्तर पर काम कर रहा है. विवाद में अंतिम निर्णय आने तक इस अभ्यास को पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा.'


बिहार सरकार ने पिछले साल दिया था सर्वेक्षण का आदेश


बता दें कि केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह जनगणना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अलावा अन्य सामाजिक समूहों की गणना नहीं करेगा. बिहार में इसका विरोध किया गया था, जहां जाति आधारित गणना को लेकर एक प्रस्ताव विधानमंडल के दोनों सदनों में दो बार पारित किया था जिसका समर्थन भाजपा के सदस्यों ने भी किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली प्रदेश की सरकार ने पिछले साल जातियों के एक सर्वेक्षण का आदेश दिया था, जिसमें कहा गया था कि पिछड़ी जाति की जनगणना लगभग एक सदी पहले हुई थी और एक नए अनुमान की तत्काल आवश्यकता थी.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी भाषा)