Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही महीनों का वक्त बचा है. ऐसे में तमाम पार्टियां खुद को मजबूत करने में जुटी हैं. वह अन्य पार्टियों का साथ पाने के लिए हर कोशिश कर रही हैं. लेकिन बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन में चीजें पटरी से उतरती नजर आ रही हैं. भले ही नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सब कुछ 'ठीक' होने की बात कह रही हो लेकिन दोनों पार्टियों के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं.


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सुनील सिंह, सुधाकर सिंह और चंद्रशेखर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि आरजेडी कोटे के एक मंत्री का फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलट दिया है. आलोक मेहता आरजेडी कोटे से मंत्री हैं, जिन्होंने राजस्व और भूमि सुधार विभाग में 480 कर्मचारियों और अफसरों के तबादले किए थे. अब ये सभी तबादले मुख्यमंत्री ने रद्द कर दिए हैं. इसके पीछे बिहार की नीतीश सरकार ने नियमों की अनदेखी को कारण बताया है. 


सिर्फ मुस्कुराते रह गए डिप्टी सीएम


मीडिया के सामने नीतीश कुमार ने कहा, हर पार्टी का लोग शिकायत कर रहा था. ट्रांसफर-पोस्टिंग में बहुत गड़बड़ी थी इसलिए राजस्व-भूमि सुधार विभाग में तबादले को रद्द करने को कहा. इस दौरान उनके साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी मौजूद थे. दो मिनट तक आलोक मेहता के खिलाफ  नीतीश कुमार बोलते रहे लेकिन तेजस्वी यादव सिर्फ मुस्कुराते रहे. अंत में नीतीश कुमार ने मीडिया के ही सामने तेजस्वी यादव से हामी भरवा ली. 


दरअसल राजस्व-भूमि सुधार विभाग में लगातार बाकी अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के 'गेम' की शिकायत मिल रही थी. इस 'खेल' को सीएम नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने स्वीकार किया. इस दौरान तेजस्वी यादव भी उनके साथ थे. नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोगों ने सभी विभागों को जून में पोस्टिंग और ट्रांसफर करने की छूट दी हुई है लेकिन उसके लिए भी कायदे हैं.


जांच में पता चली गड़बड़ी


नीतीश कुमार ने बताया कि अधिकारियों का तबादला तीन साल के कार्यकाल के बाद होना है. लेकिन उसके लिए भी नियम हैं. सभी पार्टी के लोगों ने हमें तबादले के बारे में शिकायत की थी. इनमें राजद के लोग भी थे. इसके बाद जब जांच कराई तो गड़बड़ी के बारे में पता चला, जिसके बाद हमने उसे रद्द करने को कहा. अब ट्रांसफर की लिस्ट नए सिरे से बनाई जाएगी.