प्रीतम कुमार, पटना: उम्र के चौथे पड़ाव यानि बुढ़ापे में हर किसी को एक सहारा चाहिए होता है. अगर सहारा नहीं मिलता है तो आदमी अपना सहारा खुद बन जाता है. इस दुनिया में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें न तो अपने शरीर का साथ मिल रहा है और न ही दूसरे उनका साथ दे रहे हैं. 


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लाचार पड़े इस शख्स की कहानी सुनकर शायद आप भी भावुक हो जाएं. व्हील चेयर पर बैठे ये हैं राजू सरकार. राजू सरकार बंगाल से होते हुए बिहार के लखीसराय पहुंच गए. कहने को राजू सरकार की दो बेटियां भी हैं लेकिन शादी किए जाने के बाद बेटियां कहां गई,दामाद कहां गए ये इन्हें नहीं पता.


कोलकाता में एक हादसे में इस शख्स ने अपना दायां पैर गंवा दिया और अब बायां हाथ टूट चुका है. राजू की दोनों बेटियों की शादी भी इनकी गैरमौजूदगी में कर दी गई. राजू सरकार न चल सकते हैं और न ही बोल सकते हैं. लखीसराय से राजू सरकार को पटना भेज दिया गया. 


राजू सरकार इस वक्त शिवपुरी कॉलोनी में सिम्फनी एपार्टमेंट के नीचे रहते हैं. राजू सरकार की क्या स्थिति है आप इनको देखकर ही अंदाजा लगा सकते हैं. व्हील चेयर टूटी पड़ी है. जब जीवन है तो भूख भी लगेगी और दूसरी नित्य क्रियाएं भी निपटानी होंगी. लेकिन व्हील चेयर पर लाचार पड़े राजू सरकार को देखकर ऐसा लगता है कि इन पर भगवान भी मेहरबान नहीं है. 


फिलहाल राजू सरकार पटना के शिवपुरी कॉलोनी में सिम्फनी अपार्टमेंट के नीचे रहते हैं. एक छोटा सा घर है और फिलहाल यही इनका आसरा है. आकांक्षा नाम की महिला ही इनका सहारा बनी हैं. एक एनजीओ को इनकी जिम्मेदारी दी गई है. लेकिन यहां पर कोई बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ. 


दूसरी ओर समाजसेवी आकांक्षा के मुताबिक, वो कई सेल्टर होम भी गईं लेकिन हर कोई जिला अधिकारी की ओर से जारी चिट्ठी और निशक्तता अधिकारी की तरफ से जारी प्रमाणपत्र होने पर ही राजू सरकार को रखने के लिए तैयार है. यहां सरकार की तरफ से चलाई जा रही योजनाओं पर भी सवाल खड़ा होता है. क्योंकि जरा सोचिए अगर राजू सरकार जैसे लोगों के लिए कुछ समाजसेवी नहीं आए तो फिर ऐसे लोगों का क्या होगा.