बेतियाः 21वीं सदी में आज भी समाज के लोग प्रेम विवाह को सही मानते हैं. प्रेम विवाह करने वालो को समाज और परिवार हेय दृष्टि से देखते हैं. यह विडंबना सैकड़ो सालों से चली आ रही है. हालांकि कुछ पृथक समूहों में प्रेम विवाह करने वालों को सम्मान दिया जा रहा है. लेकिन इसे लेकर कुछ स्थानों हालत काफी खराब है.


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प्रेम विवाह के विरोध में शायद किसी भी धर्म के ग्रंथों में नहीं लिखा गया है. जिसके बावजूद प्राचीन काल से ही इसे समाज सही नहीं मानते हैं. यह भी सत्य है कि सैकड़ों सालों से लड़के और लड़कियां बहिष्कार के बाजवजूद प्रेम विवाह करते आ रहे हैं. कुछ स्थानों पर बदलाव आया है लेकिन कुछ स्थानों पर इसे लेकर आज भी लोगों का रवैया पुराना ही है.


वहीं, सरकार ने भी प्रेम विवाह को वैध करार दिया है. यहां तक की बालिगों द्वारा किए गए प्रेम विवाह को संरक्षण देने का का काम करती है. इसके अलावा सरकार अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहन देने का भी काम कर रही है.


बिहार के बेतिया में प्रेम विवाह के खिलाफ एक परिवार में बेटी के प्रति ऐसी नाराजगी का मामला सामने आया है कि, जब बेटी ने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह किया तो इससे गुस्साए पिता ने बेटी के जीते जी ही उसका श्राद्ध कर्म कर डाला. यहां तक कि लड़के और लड़की को परिजन घर में भी आने नहीं देते हैं. अब बेटी जिले के पुलिस कप्तान से न्याय की गुहार लगा रही है.


मामला बेतिया के पुरानी गुदरी राजगुरु चौक का है. एसपी को लड़का और लड़की ने बताया कि वह दोनों पड़ोस में ही रहते हैं. और दोनों के बीच घनिष्ठ प्रेम था. वह दोनों एक दूसरे से शादी करना चाहते थे लेकिन परिवार वाले तैयार नहीं थे और उन लोगों की शादी कही अन्य स्थान पर करना चाहते थे. दोनों ने कहा कि अगर ऐसा होता तो उनका जीवन नारकीय हो जाता और वह आत्महत्या करने को विवश हो जाते. इसलिए उन्होंने 27 जून को हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली.


शादी के बाद लड़के के परिजनों ने भी इस दोनों की शादी को मानने से इनकार कर दिया और उन्हें घर में घुसने नहीं दिया गया. वहीं, लड़की के परिवार वाले भी शादी के खिलाफ खड़े हो गए और उन्हें घर आने से मना कर दिया. यहीं नहीं लड़की के पिता ने 18 जुलाई को बेटी का श्राद्ध कर्म कर दिया.


नव दंपत्ति ने अपने बालिग होने का प्रमाण पत्र पुलिस को सौंपा है. प्रमाण के अनुसार लड़की 20 वर्ष और लड़का 21 वर्ष का बताया जा रहा है.