पटनाः चुनावी माहौल में बिहार की सियासत फिर करवट ले रही है. लालू यादव के नहीं होने से आरजेडी के अंदर अब खलबली मच रही है. वहीं, आरजेडी से बगावत के बाद निष्कासित दिग्गज नेता अलि अशरफ फातमी ने शायद जेडीयू का रूख करने का फैसला ले लिया है. इसलिए आरजेडी से अलग होते ही उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की तारीफ की और कहा कि उनका एहसान मैं कभी नहीं भूलूंगा. वहीं, तेजस्वी यादव से कहा है कि उन्हें फातमी को बोलने का अधिकार नहीं है. आरजेडी में केवल लालू यादव को ही फैसला लेने का अधिकार है.


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अलि अशरफ फातमी ने टिकट को लेकर आरजेडी से बगावत कर ली थी. उन्हें टिकट नहीं मिलने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया और आरजेडी को चेतावनी भी दी. लेकिन उनकी चेतावनी पर आरजेडी ने उलटे कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से ही निष्कासित कर दिया गया.



अल अशरफ फातमी आरजेडी के दिग्गज नेता माने जाते हैं. लेकिन अब वह आरजेडी में नहीं है. फातमी ने सोमवार को प्रेस कॉफ्रेंन्स कर कहा कि वह अब किसी भी पार्टी में नहीं है. लेकिन उनका दरवाजा खुला है, उन्हें जो सम्मान देगा, पद देगा वह उनके साथ जाने के लिए तैयार है. हालांकि उन्होंने इस दौरान कहा कि वह बीजेपी में नहीं जाएंगे. लेकिन उन्होंने जेडीयू में जाने का खुला इशारा कर दिया.


उन्होंने कहा कि लालू यादव, नीतीश कुमार और मैं सभी पहले एक साथ थे. नीतीश कुमार के साथ मैंने काम किया है. उनका एहसान है मुझ पर इसलिए मैने नीतीश कुमार के खिलाफ कभी नहीं बोला हूं. लालू यादव से अगर किसी तरह की बात हो जाती थी तो नीतीश कुमार ही उसे संभालते थे. इसलिए नीतीश कुमार का एहसान मैं कभी नहीं भूल सकता हूं. उनकी वजह से 1991 में मुझे टिकट मिला था.


वहीं, उन्होंने तेजस्वी यादव पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि उन्हें मुझ पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है. वह केवल विपक्ष के नेता हैं न की आरजेडी के अध्यक्ष, लालू यादव पार्टी अध्यक्ष है इसलिए केवल उन्हें ही फैसला लेने और मुझे कुछ बोलने का अधिकार है. तेजस्वी यादव के अंदर में नहीं आता हूं. मैं एक स्टार प्रचारक हूं इसलिए उसे बोलने का अधिकार ही नहीं है.