Sushil Singh Vs Abhay Kushwaha: औरंगाबाद में BJP के सुशील सिंह लगाएंगे हैट्रिक या RJD के अभय कुशवाहा रोक देंगे विजय रथ, देखें ताजा समीकरण
Aurangabad Lok Sabha Seat: सुनील कुमार इस बार जीत का चौका लगाने के लिए उतरे हैं. हालांकि बीजेपी के साथ हैट्रिक होगी, क्योंकि 2009 में वह जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. 2014 और 2019 का चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़े और जीते. वहीं अभय कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही जेडीयू छोड़कर आरजेडी ज्वाइन की थी और राजद में उन्हें टिकट भी मिल गया.
Aurangabad Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के पहले चरण के लिए बुधवार (17 अप्रैल) की शाम को प्रचार समाप्त हो गया. इस चरण में बिहार की 4 सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होगा. बिहार की जिन सीटों पर कल (शुक्रवार, 19 अप्रैल) को वोटिंग होगी, उनमें गया, जमुई, नवादा और औरंगाबाद शामिल हैं. औरंगाबाद लोकसभा सीट (Aurangabad Lok Sabha Seat) की बात करें तो NDA में यह सीट बीजेपी (BJP) के हिस्से में आई है और पार्टी ने यहां से अपने सिटिंग सांसद सुशील कुमार सिंह (Sushil Kumar Singh) पर ही भरोसा जताया है. वहीं महागठबंधन की ओर से राजद के टिकट पर अभय कुशवाहा (Abhay Kushwaha RJD) मैदान में हैं. अभय को जिताने के लिए पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने खूब पसीना बहाया है.
सुनील कुमार इस बार जीत का चौका लगाने के लिए उतरे हैं. हालांकि बीजेपी के साथ हैट्रिक होगी, क्योंकि 2009 में वह जेडीयू की टिकट पर चुनाव लड़े थे और जीते थे. 2014 में जब नीतीश कुमार ने एनडीए से रिश्ता तोड़ लिया तो सुनील सिंह ने जेडीयू छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. 2014 और 2019 का चुनाव बीजेपी की टिकट पर लड़े और जीते. अबकी बार जीत का चौका लगाना चाहते हैं. वहीं अभय कुशवाहा ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले ही जेडीयू छोड़कर आरजेडी ज्वाइन की थी और राजद में उन्हें टिकट भी मिल गया. अभय कुशवाहा टिकारी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू की टिकट पर टिकारी विधानसभा से हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अनिल कुमार को हराया था.
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औरंगाबाद सीट के जातीय समीकरण
औरंगाबाद की मतदाता सूची के मुताबिक इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 18 लाख 78 हजार 313 है. इनमें 9 लाख 83 हजार 339 पुरुष मतदाता हैं, जबकि 8 लाख 94 हजार 932 महिला मतदाता हैं. वहीं 42 मतदाता थर्ड जेंडर की श्रेणी में आते हैं. इस क्षेत्र के सामाजिक समीकरण की यदि बात करें तो इस सीट पर सबसे अधिक मतदाता राजपूत जाति के हैं, जबकि यादव जाति से जुड़े वोटरों की संख्या दूसरे नंबर पर है. मुस्लिम वोटर तीसरे नंबर पर आते हैं. जातियों के वोट प्रतिशत पर गौर किया जाय तो इस संसदीय क्षेत्र मे ओबीसी का वोट प्रतिशत 20 फीसदी है जबकि ईबीसी का वोट प्रतिशत 25% है. सामान्य 25%, एससी 20% जबकि मुस्लिम वोट प्रतिशत 10 है. बीजेपी प्रत्याशी सुशील सिंह अपनी जाति (राजपूत) को लेकर पक्के हैं तो अभय कुशवाहा अपनी बिरादरी के वोट को खींच रहे हैं. राजद के आधार पर यादव को भी वह अपना मानकर चल रहे हैं.
क्षेत्र की क्या हैं समस्याएं ?
यह संसदीय क्षेत्र कृषि प्रधान है और यहां की 70 प्रतिशत आबादी खेती पर ही निर्भर है. ऐसे में यहां के मुख्य मुद्दे भी कृषि से ही जुड़े रहे हैं. सबसे बड़ा मुद्दा सिंचाई का है. इसमें उत्तर कोयल नहर परियोजना, बटाने सिंचाई परियोजना प्रमुख है. 70 के दशक में शुरू की गई उत्तर कोयल नहर परियोजना 48 वर्षों बाद भी आजतक पूरी नहीं की जा सकी है और यह हर बार बड़ा मुद्दा बनता रहा है. वहीं बताने सिंचाई परियोजना की दशा भी इससे अलग नहीं है. कमोबेश इसका भी निर्माण कार्य 70 के दशक में ही शुरू हुआ था और आज तक अधूरी पड़ी है.
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इस बार के समीकरण
इस बार हवा का रुख थोड़ा अलग है, क्योंकि लगातार 3 बार से सांसद रहे बीजेपी कैंडिडेट्स सुशील कुमार सिंह पर एंटी इनकंबेंसी का खतरा मंडरा रहा है. दूसरी तरफ राजद प्रत्याशी अभय कुशवाहा के लिए भी चीजें अच्छी नहीं हैं. चुनाव के वक्त जेडीयू से राजद में आए अभय कुशवाहा को राजद ने टिकट देकर अपने स्थानीय नेताओं को नाराज कर दिया है. महागठबंधन पहले यह सीट कांग्रेस को लेकर चर्चा में थी और यहां से निखिल सिंह तैयारी कर रहे थे. हालांकि, लालू के खेल ने जातीय समीकरण ही बदल दिया है. अब निखिल सिंह बिल्कुल खामोश नजर आ रहे हैं. बस, ये खामोशी कहीं राजद प्रत्याशी के लिए बड़ा तूफान लाने का संकेत ना साबित हो.