Lok Sabha Election 2024: मतदाता अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त, प्रत्याशी प्रचार में जुटे
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है. इसमें अब कम समय बचा है. इस कारण उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाने के लिए के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं.
औरंगाबाद: Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होना है. इसमें अब कम समय बचा है. इस कारण उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाने के लिए के लिए हर हथकंडे अपना रहे हैं. वैसे, आम मतदाता इस प्रचार से दूर अपने रोजमर्रा के कामों में व्यस्त है तो प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते.
बिहार में पहले चरण का चुनाव गया, औरंगाबाद, नवादा और जमुई लोकसभा क्षेत्र में होना है. इन चारों सीटों पर फिलहाल एनडीए का कब्जा है, लेकिन महागठबन्धन के प्रत्याशी इस बार इन सीटों पर जोर लगाए हुए हैं. ग्रामीण परिवेश वाले औरंगाबाद सीट पर प्रत्याशी जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, लेकिन मतदाता अब तक सक्रिय नहीं दिखते. शहरी इलाकों की बात करें तो कुछ इलाकों में राजनीतिक दलों के झंडे, बैनर और पोस्टर दिख रहे हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इक्का दुक्का ही झंडा, पोस्टर दिख रहा है. वैसे, ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी चर्चा जरूर हो रही है.
औरंगाबाद जिला मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर नेउरा गांव में स्थित एक बजरंगबली के मंदिर में लोग चुनावी चर्चा में व्यस्त हैं. लेकिन, इन लोगों को अपने संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशियों से ज्यादा दिलचस्पी प्रधानमंत्री पद को लेकर दिखी. वायु सेना से सेवानिवृत्त सत्येंद्र तिवारी कहते हैं कि इस चुनाव से प्रधानमंत्री तय होना है, स्थानीय उम्मीदवारों को लेकर चर्चा करने का क्या औचित्य? उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रत्याशी में भी कोई मुकाबला नहीं दिखता. उन्होंने कहा कि मतदान तो ग्रामीण जरूर करेंगे, लेकिन मुद्दा स्थानीय नहीं राष्ट्रीय होगा.
इधर, झारखंड से सटे अम्बा -नवीनगर रोड पर रामपुर गांव के पास कई लोग खेत में गेहूं काटने में व्यस्त थे, उनसे जब चुनावी चर्चा की तो एक महिला भड़कते हुए कहती हैं कि चुनाव से क्या होगा. हमलोगों की नियति तो यही है. खेती के लिए आज भी भगवान भरोसे हैं. वहीं मेड़ पर बैठी एक बुजुर्ग महिला अपनी भाषा मे कहती हैं, "हम तो वोट जरूर देबई. अबरी अयोध्या में राम मंदिर बन गइल. ई कम बड़ बात हई?"
इस संसदीय क्षेत्र की बात करें तो यहां करीब 18 लाख मतदाता हैं. इनमें से अधिकांश लोगों की जीविका खेती पर निर्भर है. औरंगाबाद शहर में रहने वाले फल दुकानदार मोहम्मद मुस्तफा से जब चुनाव को लेकर सवाल किया गया तो वे कहते हैं कि चुनाव तो हर पांच साल में होना है. चुनाव से क्या बदलने वाला है? हर साल तो महंगाई बढ़ती ही जा रही है, कोई पीएम बने, सीएम बने, उससे हमलोगों का क्या बदल जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह माना कि नक्सली घटनाओं में कमी आई है.
पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह ने जीत हासिल की थी. सिंह ने 4 लाख 27 हजार से अधिक वोट हासिल किए थे जबकि हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद ने 3 लाख 57 हजार से अधिक वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया. बीएसपी प्रत्याशी नरेश यादव ने 33 हजार 772 वोट लाकर तीसरा स्थान हासिल किया.
इस चुनाव में यहां महागठबन्धन और एनडीए में सीधा मुकाबला दिखता है. राजपूत बहुल मतदाता वाले इस क्षेत्र के लोग राजपूत जाति से आने वाले प्रत्याशियों को जीताते रहे हैं. एनडीए की ओर से भाजपा ने इस चुनाव में एक बार फिर से सुशील सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि महागठबन्धन की ओर से राजद के प्रत्याशी अभय कुशवाहा चुनावी मैदान में हैं. बहरहाल, औरंगाबाद के लोग चुनाव को लेकर बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं दिखते, लेकिन इतना तय है कि एनडीए और महागठबन्धन में मुकाबला कड़ा होगा.
इनपुट- आईएएनएस के साथ