पुल के बाद अब भागलपुर में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा 17 करोड़ का कटावरोधी कार्य! ताश के पत्तों की तरह ढहा
यूं तो बिहार काफी समय से गर्मी की तपन की मार झेल रहा था प्रदेश में तेज गर्मी ने कई जानें ले ली लेकिन मानसून की आहट भी यहां के लोगों के लिए राहत की खबर लेकर नहीं आ पाई है. गर्मी से भले यहां के लोग थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं लेकिन बाढ़ ने उनका जीवन तबाह करना शुरू कर दिया है.
भागलपुर: यूं तो बिहार काफी समय से गर्मी की तपन की मार झेल रहा था प्रदेश में तेज गर्मी ने कई जानें ले ली लेकिन मानसून की आहट भी यहां के लोगों के लिए राहत की खबर लेकर नहीं आ पाई है. गर्मी से भले यहां के लोग थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं लेकिन बाढ़ ने उनका जीवन तबाह करना शुरू कर दिया है. लोग अपने आशियाने को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. दरअसल बिहार में भ्रष्टाचार किस कदर पर चरम पर है. इसका नमूना हाल ही में देखने को तब मिला जब भागलपुर के सुल्तानगंज में बने अगुवानी घाट पुल को लोगों ने एकाएक गंगा नदी की लहरों में समाते देखा. अब भागलपुर से ही दूसरा मामला सामने आया है जिसमें गंगा की कटाई से बचाने के लिए बनाए गए 17 करोड़ के कटावरोधी निर्माण की पोल खुल गई जब वह ताश के पत्तों की तरह ढह गया.
भागलपुर के इंग्लिश में हुई बारिश ने 17 करोड़ 68 लाख की लागत से कराये गए कटाव रोधी कार्य की पोल खोल दी. दरअसल सबौर प्रखंड के इंग्लिश गांव में बीते वर्ष गंगा किनारे तेज कटाव हुआ था. जिसके बाद कई घर गंगा में समा गए थे. इसके बाद जल संसाधन विभाग ने कटाव रोधी कार्य के लिए 17 करोड़ 68 लाख रुपये दिए. जिससे गंगा किनारे जियो बैग डाल दिया गया. अब बारिश होते ही ऊपर लगाई गयी बोरियां ताश के पत्तों की मानिंद ढह गईं.
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इसके बाद आनन-फानन में फिर इंजीनियर द्वारा उस हिस्से में बोरी लगाया जा रहा है. अब सवाल यह है कि आखिर जनता की गाढ़ी कमाई कब तक सरकार के अधिकारी पानी में इसी तरह बहाते रहेंगे. करोड़ों के काम का जब बारिश में यह हाल है तो आगे गंगा नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी होने के बाद क्या हालात होंगे. इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जब हमारे संवाददाता ने जल संसाधन विभाग के इंजीनियर से इसको लेकर सवाल किया तो इंजीनियर जवाब नहीं दे पाए. ग्रामीणों में अब डर है कि कहीं इस बार फिर उनके आशियाने न उजड़ जाएं.
(रिपोर्ट- अश्वनी कुमार)