भागलपुर की ई-रिक्शा चालक पिंकी के हौंसले को सलाम, बोली- बच्चों को बनाना है डॉक्टर और इंजीनियर
पिंकी इतनी मेहनती है कि कभी वो सब्जी बेचकर तो कभी ई-रिक्शा चलाकर प्रतिदिन 500 से 800 रुपये की कमाई करती है. 8वीं पास पिंकी बच्चों को बनाना चाहती है डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहती है. बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की दिक्कत न आए.
मुंगेर : सुल्तानगंज के ऊंचागांव निवासी मजदूर अमरजीत शर्मा की 30 वर्षीय पत्नी पिंकी देवी घर से ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं. रोजाना पूरे दिन मेहनत और इमानदारी के दम पर धन अर्जित करती हैं. आत्मनिर्भर पिंकी महिलाओं के लिए प्रेरणा की श्रोत हैं. परिवार की आर्थिक स्थित ठीक नहीं है ऐसे में खुद ई-रिक्शा चलाकर अपने बच्चों को पढ़ाई करवा रही है. उनका सपना बच्चों डॉक्टर और इंजीनियर बनाना है.
महिला के लिए प्रेरणा श्रोत बनी मुंगेर की पिंकी
पिंकी का कहना है कि वो मुंगेर जिला के असरगंज थाना अंतर्गत ममई गांव की रहने वाली है. चार भाई-बहन में सबसे बड़ी है. वो पढ़-लिखकर कुछ बनना चाहती थी, लेकिन उसके पिता सुरेन शर्मा की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं रहने के कारण आठवीं तक ही पढ़ाई कर सकी. वर्ष 2010 में उसकी शादी ऊंचागांव में सुबोध शर्मा के पुत्र अमरजीत से हो गई. यहां उसके पति के पास रहने के लिए अपनी जमीन भी नहीं है. उनके गोतिया ने रहने के लिए मौखिक रूप से कुछ जमीन दी है, जिसमें सास-ससुर समेत पति-बच्चों के साथ रहती है. पिंकी के चार बच्चे हैं. इनमें दो पुत्री 10 वर्ष की वर्षा और सात वर्ष की रिया व दो पुत्र पांच वर्ष का शिवम और तीन वर्ष का सत्यम हैं. चार बच्चों की मां पिंकी ने बच्चों को बेहतर शिक्षा और घर की आर्थिक स्थिति मजबूत करने का लिया संकल्प है.
बच्चों को डॉक्टर और इंजीनियर बनाने का है सपना
बता दें कि पिंकी इतनी मेहनती है कि कभी वो सब्जी बेचकर तो कभी ई-रिक्शा चलाकर प्रतिदिन 500 से 800 रुपये की कमाई करती है. 8वीं पास पिंकी बच्चों को बनाना चाहती है डॉक्टर और इंजीनियर बनाना चाहती है. बच्चों की पढ़ाई में किसी प्रकार की दिक्कत न आए इसके लिए वह रोजाना ई-रिक्शा चलाती है. जो रुपये वह कमाती है उससे अपने बच्चों को फीस भर देती है.
पिंकी के पति दिल्ली में करते है फर्नीचर का काम
बता दें कि पिंकी के पति भी दिल्ली में फर्नीचर का काम करता है. बीते वर्ष लॉकडाउन में हम दोनों की जमा पूंजी से एक ई-रिक्शा निकलवाया है. जिसे मैं प्रतिदिन चलाकर कभी सवारी बिठाकर तो कभी सब्जी ठोकर हर दिन 500 से लेकर 800 रुपये तक कमा लेती हूं. फिलहाल तो अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजती हूं, लेकिन प्राइवेट ट्यूशन भी पढ़ने भेज रही हूं. पिंकी ने कहा कि बोली अगर सरकार भी मुझे कुछ आर्थिक सहयोग करें, तो बच्चों के पठन-पाठन में और बेहतर सुविधा मुहैया कराने में सफल हो पाऊंगी.