जमुईः Bihar News: अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद देश ही नहीं विदेशों में भी लोग अब अयोध्या में रामलला विराजमान होने को लेकर चर्चा करने लगे हैं. वहीं अयोध्या में रामलला विराजमान होने के बाद लोग कहने लगे हैं कि अब काशी और मथुरा की बारी है. वहीं भगवान की आस्था और श्री कृष्ण की लीला को लेकर लोगों में दीवानगी तो देखी होगी, लेकिन हम एक ऐसे कृष्ण भक्ति में दीवाने बैंककर्मी की बात करने जा रहे हैं. जिसको कान्हा जी के लिए बाजार में अच्छे झूला नहीं मिलने के बाद अपने घर में ही झूला सहित पूरा नंद गांव बना दिया. 


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इसके बाद घर में पड़े वेस्ट सामान से उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बने राम मंदिर, केदारनाथ मंदिर और जमुई की आन बान शान कहीं जाने वाली कालिका मंदिर का भी स्वरूप तैयार कर दिया. जो कि अब चर्चा का विषय बन गया है. बातचीत के दौरान बैंक कर्मी दिवाकर कुमार और उसकी पत्नी ने कहा कि कान्हा जी के लिए झूला खरीदने के लिए मैं बाजार गया था. पूरे बाजार में मुझे कहीं झूला अच्छा नहीं मिला तो मैंने कान्हा जी का झूला घर में ही बनाया और फिर पूरा नंद गांव बनाया. इसी के साथ काली मंदिर, केदारनाथ मंदिर उसके बाद अयोध्या का भव्य राम मंदिर को बनाने का काम किया और अब मेरा प्रोजेक्ट पुराने वाले संसद भवन को बनाने का चल रहा है. 


इसके बाद भुवनेश्वर में बने भव्य मंदिर और इंडिया गेट का भी स्वरूप देने का है. मुझे बचपन से कलाकृति करने का शौक था लेकिन समय नहीं मिला और अब मैं कर रहा हूं. उन्होंने युवा पीढ़ी से कहा कि वह इस तरह की कलाकृति करें. अगर उनके अंदर क्षमता है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह करते हुए कहा कि उनके द्वारा ऐसे मंदिर मुझे भी स्थापित करने की जगह दी जाए. जिससे देश भर में इस तरह की चर्चा हो कि अगर कार्य करने की इच्छा शक्ति हो तो घर में पड़े वेस्ट सामान से भी मंदिर का स्वरूप दिया जा सकता है. 


वहीं बैंक कर्मी की पत्नी ने कहा कि हम भी पति के इस कार्य में सहयोग करते हैं. जब से घर में लड्डू गोपाल को लाया गया है और उनका झूला बनाया गया, फिर नंद गांव और तब से यह कारवां चल रहा है. 5 से 6 महीने में नंद गांव से लेकर अयोध्या का राम मंदिर तक का सफर पूरा किया जा चुका है. अब संसद भवन और भुवनेश्वर की माता कैला देवी मंदिर की बारी है. 


अक्सर देखा जाता है कि पति नौकरी से आने के बाद घर में अपनी पत्नी और बच्चे के बीच समय व्यतीत करते हैं. जबकि दिवाकर ऐसा नहीं करते हैं और उनकी पत्नी भी काफी खुश है. जॉब से लौटने के बाद घर में पड़े वेस्ट सामान से इस तरह की कलाकृति करते नजर आते हैं. जिससे दिवाकर ही नहीं उसकी पत्नी और बच्चे भी काफी खुश है.
इनपुट- अभिषेक निराला, जमुई


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