23 सालों के बाद मां गंगा मंदिर में भक्त करेंगे पूजा, दशकों से मिट्टी से दबा था मंदिर
Munger News: उत्तरवाहिनी गंगा के कष्टहरणी घाट स्थित मां गंगा मंदिर में करीब दो दशक के बाद मंगलवार को गंगा दशहरा के मौके पर धूमधाम के साथ पूजा की जाएगी. मंदिर के अंदर एवं बाहर टीले के रूप में जमे मिट्टी हटाए जाने से अब मंदिर एवं मां गंगा की मूर्ति का दर्शन लोग कर पा रहे हैं.
मुंगेर:Munger News: उत्तरवाहिनी गंगा के कष्टहरणी घाट स्थित मां गंगा मंदिर में करीब दो दशक के बाद मंगलवार को गंगा दशहरा के मौके पर धूमधाम के साथ पूजा की जाएगी. मंदिर के अंदर एवं बाहर टीले के रूप में जमे मिट्टी हटाए जाने से अब मंदिर एवं मां गंगा की मूर्ति का दर्शन लोग कर पा रहे हैं. गंगा दशहरा पर मंदिर में विशेष पूजा के साथ गंगा की महाआरती की जाएगी.
कष्टहरणी घाट स्थित शहर का एक मात्र गंगा मंदिर अति प्राचीन है. बाढ़ के समय प्रत्येक वर्ष गंगा मंदिर जलमग्न हो जाता है. पानी निकलने के बाद मिट्टी की परत साल दर साल जमता रहा. सफाई नहीं होने से मंदिर मिट्टी से पूरी तरह भर गया. लोग पूजा नहीं कर पा रहे थे. मंदिर के पुजारी एकलव्य ने बताया कि मंदिर में मिट्टी भरे रहने से पिछले करीब 23 वर्षो से पूजा नहीं हो पा रही थी. निगम प्रशासन और जिला प्रशासन की ओर से मिट्टी हटाने का काम शुरू किया गया. मंदिर से मिट्टी हटाने के बाद अब श्रद्धालु मां गंगा का दर्शन-पूजन कर सकेंगे. उन्होंने बताया कि गंगा मंदिर अति प्राचीन है. मिट्टी हटाए जाने के बाद इस वर्ष गंगा दशहरा पर मंगलवार की सुबह विशेष पूजा के बाद शाम में मां गंगा की महाआरती की जाएगी.
गंगा दशहरा का महत्व
भारतीय संस्कृति में गंगा दशहरा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि गंगा दशहरा के दिन ही राजा भागीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा उनके पूर्वजों को मुक्ति देने के लिए स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी. इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है. हिन्दू धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है. इस दिन गंगा स्नान का बहुत ही अधिक महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान एवं मां गंगा की पूजा करने से .पापों का नाश होता है
इनपुट- प्रशांत कुमार
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