`वोट हम देते हैं, डॉल्फिन नहीं`, मछली पकड़ने पर लगा बैन तो सड़कों पर उतरे मछुआरे
Bhagalpur Vikramshila Gangetic Dolphin Sanctuary: भागलपुर में डॉल्फिन से मछुवारों को परेशानी हो रही है. अभ्यारण्य में मछली मारने पर प्रतिबंध लगा है. जाल सीज हो जाता है. मछुवारे धरने पर बैठे वन विभाग पर लगाये गम्भीर आरोप लगाया है.
Bhagalpur News: भागलपुर में सुल्तानगंज से कहलगांव तक गंगा में 72 किलोमीटर तक विक्रमशिला गंगेटिक डॉलफिन अभ्यारण्य घोषित है. ऐसे में मछुआरों को इस दायरे में मछली मारने के लिए प्रतिबंध लगाया गया है. मछुवारे के जाल को प्रशासन सीज कर लेती है और कार्रवाई भी करती है. ताकि डॉल्फिन को बचाया जा सके, लेकिन इसको लेकर मछुवारा समाज आक्रोश में है.
जिलाधिकारी कार्यालय के समीप गंगा मुक्ति आंदोलन के सदस्यों मछुवारा समाज के लोगों ने धरना दिया. साथ ही वन विभाग पर अत्याचार का आरोप लगाया जा रहा है. मछुआरे मछली मारने पर प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं. फ्री फिसिंग एक्ट बनाये जाने की मांग कर रहे हैं.
मछुवारों का आरोप है कि बीते 14 दिसंबर को मछुवारे के साथ वन विभाग के कर्मियों ने मारपीट की प्रशासन बड़े लोगों से पैसे ले लेती है. हमलोगों को प्रताड़ित करती है. इसमें राजनीति भी होता है, डॉल्फिन तो वोट नहीं देती है वोट मछुवारा समाज देता है. इसलिए कुछ राजनीतिक लोग वोट खराब करने के लिए यह काम कर रहे हैं. कुछ लोगों के कहने पर यह रोकने की कोशिश है. गंगा में क्रूज क्यों चल रहा है क्या, उससे डॉल्फिन पर असर नहीं पड़ता है. हमलोगों को मछली मारने से नहीं रोका जाए.
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बता दें कि भागलपुर में विक्रमशिला गंगेटिक डॉल्फिन अभ्यारण्य में तकरीबन 250 डॉल्फिन है. इसको लेकर भागलपुर में राज्य सरकार की ओर से संरक्षण के लिए पैसे खर्च किए जाते हैं लेकिन मछुवारा समाज लगातार इसका विरोध जता रहा है.
रिपोर्ट: अश्वनी कुमार
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