Munger: बिहार के मुंगेर जिला के मुख्यालय से कुछ 50 किलोमीटर की दूरी पर ढोल पहाड़ी गांव स्थित है. इस गांव का इतिहास बहुत पुराना है. यहां पर एक ढोल पहाडी है. इस गांव की जनसंख्या लगभग 500 है. लोगों का कहना है कि यहां पर पत्थर भी शिव भक्त हुआ करते थे. 


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पत्थर से आती है ढोल बदने की आवाज
ढोल पहाड़ी पहाड़ काफी बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ है. इस पहाड़ के कई टुकड़े जो कि काफी ज्यादा लंबे और चौड़े हैं. ग्रामीणों के मुताबिक इस पहाड़ में काफी बड़ी गुफाएं भी  हैं. यह गुफाएं इतनी बड़ी हैं कि इसमें हाथी भी रह सकते हैं. ढोल पहाड़ी पर एक बड़ा सा गोल पत्थर है. जिसके पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सारी जानकारी उन्हें उनके पूर्वजों से हासिल है. ग्रामीणों के अनुसार सालों पहले भागलपुर के सुल्तानगंज गंगा घाट के किनारे अजगैबीनाथ धाम मंदिर में भगवान शिव को भोग लगाया जाता है.  उस दौरान उस गोल पत्थर से अपने आप ढोल बजने की आवाजें सुनाई दिया करती थी. जिससे पूरा इलाका गूंज उठता था. 


बना हुआ है शिवलिंग और बुद्धा का चित्र
ढोल पहाड़ी पर भगवान बुद्ध का चित्र बना हुआ है. उसी तस्वीर के साथ शिवलिंग का भी चित्र बना हुआ है. इसके अलावा वहां पर किसी अलग भाषाओं में दीवारों पर कुछ लिखा हुआ है. लोगों का कहना है कि वह ना तो हिन्दी है, ना ही इंग्लिश है और ना ही कोई ऐसी भाषा है जिसे सामान्य लोग पढ़ सकें. इस प्रकार की भाषा को पढ़ना मुश्किल है. ग्रामीणों के अनुसार यहा पर यह पहले से बना हुआ था. लोगों का कहना है कि वे सभी बचपन से यहां पर चित्र और लिखावट को देखते आए हैं. 


ग्रामीणों ने उठाई मांग
ढोल पहाड़ी के लोगों ने इसे भव्य आकार देने की मांग की है. ग्रामीणों का कहना है कि इसे और भी ज्यादा विकसित करने की आवश्यकता है. ताकि यह एक पर्यटन स्थल बन सके और आस पास के लोगों को रोजगार मिल सके.


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