पटना: भारत को गांवों का देश कहा जाता है. गांव में भारत की आत्मा बसती है. उसी आत्मा की कहानी को कहती हुई भोजपुरी में एक गीत बनाया गया है. नये वर्ष पर जारी हुए गांव पर आधारित एक बेहतरीन गीत के बोल पास बोलावे गांव रे है. इस गीत में वैसे लोगों को कनेक्ट किया गया है जो गांव छोड़ कर जा चुके हैं.


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भोजपुरी के सुप्रसिद्ध गीतकार-गजलकार मनोज भावुक की यह गीत उस गांव की बात करती है, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर भले कमजोर है पर दिल का कनेक्शन बहुत ही स्ट्रांग है. गीत के बोल जिनगी के दुपहरिया खोजे जब-जब शीतल छांव रे  पास बोलावे गांव रे आपन, पास बोलावे गाँव रे है. गीत के माध्यम से गांव में जो अपनी सामूहिकता, सहृदयता और आपसी सहयोग होता है उसके बारे में बताया गया है. इस गीत के से बताया गया है कि गांव जो प्राण वायु और प्रकृति के करीब होने के लिए जाना जाता है, जो निश्छल मन और प्रेम के लिए जाना जाता है, उसे फिर से स्थापित करने के लिए भी यह गीत है.



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मनोज भावुक अपने इस गीत से एक निहोरा कर हैं कि कि गांव को गांव जैसा ही रहे और गांव ऐसा ही होता है जैसा इस गीत में दिखाया गया है. इस गीत में बताया है कि प्रकृति से दूर और प्रेम से परे जाकर हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं. यह दोनों गांव में ही है उस गांव में जहां गांव जिंदा है. मनोज भावुक के इस गीत को लोक गायक शैलेन्द्र मिश्र ने अपने स्वर से सजाया है.


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