Bhikhari Thakur Profile: भोजपुरी भाषा को एक अलग पहचान दिलाने वाले भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) को कौन नहीं जाता होगा. जो भोजपुरी को जानता समझता होगा वह इनके नाम से वाकिफ होगा. भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) ने भोजपुरी भाषा के लिए ऐसा कुछ कर दिया है कि शायद ही कोई आगे कर पाए, क्योंकि उन्होंने इस भाषा के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया था. उनकी रचनाएं भोजपुरी भाषा में थी इसलिए उन्हें भोजपुरी का शेक्सपियर (Who is Bhikhari Thakur) कहा जाता है.


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भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) का जन्म कब हुआ था, जानिए


भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) का जन्म 18 दिसंबर 1887 को बिहार के सारण जिला के कुतुबपुर दियारा नांव के गांव में हुआ था. इनके पिता का नाम दलसिंगार ठाकुर और माता का नाम शिवकला देवी था. इनके पिता नाई थे. भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) एक महान कवि, नाटककार, संगीतकार, दार्शनिक, समाज सुधारक, गायक, नर्तक और शानदार कलाकार थे. वह भोजपुरी भाषा के समर्थ थे और लोक कलाकार, रंगकर्मी और लोक जागरण के सन्देश वाहक थे. भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) लोक गीत और भजन कीर्तन के बहुत बड़े साधक थे. उनका निधन 83 साल की उम्र में 10 जुलाई 1971  हो गया.


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क्यों कहा जाता है भोजपुरी के शेक्सपियर?


भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) भोजपुरी गानों, नाटकों की रचना और अपने सामाजिक कामों के लिये प्रसिद्ध हैं. वह एक महान लोक कलाकार थे. इस वजह से  उन्हें भोजपुरी का शेक्शपीयर (Bhojpuri Shakespeare Bhikhari Thakur) भी कहा जाता है. इनकी रचना में बिदेसिया और बेटी-बेचवा बहुत मशहूर है. भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur) का प्रसिद्ध नाटक बिदेसिया पर एक फिल्म भी बनी है. बताया जाता है कि भोजपुरी के शेक्सपियर यानी भिखारी ठाकुर (Bhikhari Thakur Profile) के जीवन में उनके दोस्त रामानंद सिंह, रिश्तेदार बाबूलाल और पत्नी मंतुरना देवी की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.


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