नया नहीं है भोजपुरी गानों में लड़कियों के नाम और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग, खूब मचाया है `गंध`
भोजपुरी सिनेमा के विस्तार में तेजी आई है. 40 करोड़ से ज्यादा दर्शक वर्ग वाले इस इंडस्ट्री पर अश्लीलता का आरोप लगातार लगता रहा है. इस इंडस्ट्री के कोई भी सिंगर या अभिनेता इससे अछूते नहीं हैं.
पटना : भोजपुरी सिनेमा के विस्तार में तेजी आई है. 40 करोड़ से ज्यादा दर्शक वर्ग वाले इस इंडस्ट्री पर अश्लीलता का आरोप लगातार लगता रहा है. इस इंडस्ट्री के कोई भी सिंगर या अभिनेता इससे अछूते नहीं हैं. ऐसे में अब जब खेसारी लाल यादव के बेटी की तस्वीरों को वायरल कर इस पर अभद्र गाने बनाए जा रहे हैं तो सभी कलाकार इससे हतप्रभ हैं, लेकिन उन्हें पता है कि जैसा बोया गया है अब उन्हें वैसा ही काटना पड़ रहा है.
भोजपुरी गानों में जातिसूचक शब्दों का और लड़कियों के नामों का प्रयोग आम रहा है. ऐसे गाने खूब वायरल भी होते रहे हैं. जाति के संबोधनों के साथ बनाए गए गानों ने तो अश्लीलता की हद पार कर दी है. अब यही कलाकार फिर से एक बार लड़कियों के नाम के संबोधन के साथ अश्लील गाने बनाने पर आ गए हैं. द्विअर्थी गानों का तो बोलबाला रहा है. डिंपलवा, रिंकिया, कजलवा, पिंकिया, पूजवा आदि के नामों से तैयार ये अश्लील गाने लोगों की भी पसंद बने हुए हैं.
इन गीतों को गाने वाले केवल छुटभैये कलाकार नहीं हैं भोजपुरी के दिग्गज कलाकारों के नाम भी अश्लीलता फैलाने का आरोप है. इन दबंग कहलाने वाले भोजपुरी कलाकारों के दिल में इस बात का खौफ रहा ही नहीं कि यह सब एक दिन उनके ऊपर भी आनेवाला है. भोजपुरी के जातीय गानों को टुनटुन यादव ने पहले गाया उसके बाद प्रदीप पांडे चिंटू ने इसको आगे बढ़ाया. इसके बाद से तो भोजपुरी गानों की बाढ़ सी आ गई है.
इसके बाद अश्लीलता से भरे शब्दों और लड़कियों का नाम लेकर गाना गाने का चलन आया. चंदन चंचल ने इसकी शुरआत की हालांकि इससे पहले मनोज तिवारी मृदुल का गाना रिंकिया के पापा ने भी खूब हंगामा मचाया था. अब जब किसी ने भोजपुरी के मेगास्टार खेसारी लाल यादव की बेटी का नाम लेकर अश्लील गाना गा दिया तो वह रो पड़े. ऐसे में अब उन सब को ही सोचना है कि यह ट्रेंड कहां से शुरू हुआ और इसका फायदा इनलोगों ने कैसे उठाया.