आरा : बिहार के नवनियुक्त डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय लगातार लगातार एक्शन में दिख रहे हैं. पटना और वैशाली जिला के बाद अचानक आधी रात को आरा आ धमके, जहां उन्होंने भोजपुर पुलिस के लिए सबसे तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि स्थिति सबसे बदतर है. देर रात को लगभग 12 बजे अचानक आरा पहुंचे, जहां उन्होंने पांच घंटे से अधिक समय बिताया. 


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आरा में पैर रखते ही अचानक थाने में आ धमके, जहां उन्होंने स्टेशन डायरी को खंगाला, जिसमें उन्होंने कई गड़बड़ी देखी. उन्होंने आरा नगर थानाध्यक्ष चंद्रशेखर गुप्ता और नवादा थानाध्यक्ष सुबोध कुमार को जमकर फटकार लगायी.


गुरुवार रात करीब 12 बजे डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय भोजपुर में पुलिसिंग की जांच करने के लिए निकले थे. ट्रेन से भोजपुर पहुंचने पर उन्होंने आरा नवादा थाना का निरीक्षण किया और थाने में कई अनियमितताओं को पाया. उसके बाद डीजीपी आरा नगर थाना पहुंचे और यहां भी उनको बिल्कुल वही तस्वीर मिली. डायरी से लेकर पदाधिकारियों की गैरमौजूदगी तक दोनों थानों की तस्वीरें लगभग एक समान थी, जिसे देख डीजीपी आगबबूला हो उठे.


मीडियाकर्मियों से बात करने के दौरान कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए डीजीपी ने कहा कि नवादा और आरा नगर थाना के थानाध्यक्ष किसी काम के नहीं हैं. मेरी समस्या है कि मैं इन दोनों को बदल नहीं सकता हूं, क्योंकि अब चुनाव होने वाला है. एक सप्ताह के अंदर आचार संहिता लागू होने वाला है. आरा शहर की स्थिति हमको बहुत खराब लगी. मैं इसको सुधार कर रहूंगा. मेरे लाख कहने के बावजूद भी पूरे शहर में एक जगह भी गश्ती-पेट्रोलिंग नहीं दिखी. ये लोग डीएसपी बनने वाले थे, लेकिन अब इंस्पेक्टर रैंक पर ही इनकी नौकरी की समाप्ति होगी.


आगे उन्होंने कहा कि बिहार के 12 करोड़ की जनता की रक्षा और सुरक्षा का सवाल है. किसी की भी कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. यहां आया तो देखा कि चार से पांच दिनों तक स्टेशन डायरी पेंडिंग पड़ी हुई है. मैं पहले भी बोल चुका हूं कि मैं कभी भी, कहीं भी, किसी भी थाने में पहुंच सकता हूं. इसका असर पूरे बिहार में हुआ, लेकिन आरा में नहीं हुआ.


डीजीपी ने कहा कि आज के बाद विभागीय कर्यवाई होने पर यहां के लोग भी सबक लेकर आगे से इसका ख्याल रखेंगें. आरा शहर में लोग तबाह हैं. घटनाएं बढ़ रहीं हैं. किसी का ध्यान नहीं है. मैं दिनभर काम करता हूं. रात भर मैं घूमता हूं. मैं दो से ढाई घंटे मात्र सोता हूं. मेरा चेहरा और आंख सूज गया है. बिना पैसे और पैरवी वाले को थाने पर सम्मान मिलनी चाहिए. मैं जनता का डीजीपी हूं.


आगे उन्होंने आरा की धरती से पूरे बिहार के पुलिसवालों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि मैं बता देता हूं कि यह आखिरी मौका है. सभी थाने वाले सुधर जाएं. थाना डायरी को अपनी पर्सनल डायरी नहीं समझिए. पुलिस मैन्युअल के हिसाब से ड्यूटी निभाइए. कानून का राज सूबे में स्थापित कीजिये. जिस थाने में शराब, जुआ, सट्टा और बालू चलेगा वहां, के थाना प्रभारी कटेंगें अर्थात उनपर बड़ी कर्यवाई की जाएगी.