Gaya: उत्तराखंड के ऋषिकेष में बना लक्ष्मण झूला पुल के तर्ज पर बिहार सरकार भी झूला पुल बनवाने जा रही है. ये झूला पुल मोक्ष की नगरी गया में जल्द ही देखने को मिलेगा. दरअसल, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झूला पुल बनाने का फैसला लिया था. लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण देव घाट से सीता कुण्ड के बीच होगा. इससे देश विदेश से आने वाले पर्यटकों को काफी सहूलियत मिलेगी. साथ में इलाके के लोगों को और रोजगार मिल सकेगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानकारी के अनुसार, विष्णुपद के देव घाट से सीताकुंड तक अनुमानित 65 करोड़ रूपये की लागत से लक्ष्मण झूला पुल तैयार होगा. इससे फायदा ये होगा कि विष्णुपद और सीताकुंड में पिंडदान करने वाले तीर्थ यात्रियों को तीन किलोमीटर घूम कर नहीं जाना पड़ेगा. यहां, बनने वाला लक्ष्मण झूला पुल एशिया का दूसरा जबकि विश्व का तीसरा पुल होगा.


ये भी पढ़ें-जब बिहार सरकार ने बच्चों के दिल के घाव भरा तो परिजनों ने कहा 'शुक्रिया


इस पुल की लंबाई 430 मीटर होगी. वहीं, लक्ष्मण झुला पुल बनने की खबर से स्थानीय पंडा और पुजारी बेहद खुश है. इधर, स्थानीय पंडा ओम प्रकाश के अनुसार 'लक्ष्मण झूला पुल बनने से गया को एक अलग पहचान मिलेगी और पुरी दुनिया में गया की प्रसिद्धि और बढ़ेगी. पुल बनने से श्रद्धालु बड़े आराम से विष्णुपद मंदिर से फल्गु नदी के ऊपर बने लक्ष्मण झूला पुल से 5 से 10 मिनट में पैदल सीताकुंड मंदिर पहुंच जाएंगे और अपने पितरो का उधार करेंगे.'  


वहीं, पुल विभाग के एसडीओ (SDO) प्रतीक कुमार ने बताया कि 'जिस लक्ष्मण झूला पुल का निर्माण होना है उसका स्पैन 370 मीटर होगा. हमारे यहां से इसका पीपीआर बनकर चला गया है.' दरअसल, पुल बनाने की प्रक्रिया अभी शुरुआती दौर में है. प्रशासनिक मंजूरी मिलने के बाद ये पता चलेगा कि लक्ष्मण झूला पुल कबतक बनकर तैयार होगा. इधर, गया के जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने बताया 'साल 2018 में जब मुख्यमंत्री यहां आने के बाद सीता कुंड घाट और देव घाट का भ्रमण किये थे, तब एक विषय आया था की पिंडदानियों को गर्म रेत में चलकर जाना पड़ता है. कभी पानी होता है तो कभी घूमकर जाना पड़ता है. इसी को  देखते हुए उस समय मुख्यमंत्री ने झुला पुल बनाने का निर्देश दिया था. बिहार राज्य पुल निगम इस काम को करेगी जिससे लोगों को राहत मिलेगी.'



मोक्ष की धरती है गया
गया को भगवान विष्णु का नगर माना गया है. ऐसी मान्यता है कि गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और वे स्वर्ग चले जाते हैं. माना जाता है कि स्वयं विष्णु यहां पितृ देवता के रूप में मौजूद है और वो पितरों का उद्धार करते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, गयासुर नाम के एक राक्षस ने तप कर ब्रह्माजी से वरदान मांगा था कि वो देवताओं की तरह पवित्र हो जाए.


इस वरदान के चलते लोग पाप करने लगे और गयासुर के दर्शन कर पापमुक्त हो जाते थे. इससे आहत होकर देवताओं ने राय विचार कर यज्ञ के लिए गयासुर से पवित्र स्थल मांगा. गयासुर ने अपना शरीर ही यज्ञ के लिए दे दिया. गयासुर जमीन पर लेटा तो वो पांच कोस में फैल गया, यही पांच कोस जगह गया बन गया. इसके बाद गयासुर ने भगवान से वरदान मांगा कि ये जगह मुक्ति की जगह बन जाए. कहते हैं कि गया वही आता है जो अपने पितरों का उद्धार करना चाहता है.


ये भी पढ़ें-Bihar: गरीबों के लिए इंद्रदेव बनी सीएम नीतीश की योजनाएं


भगवान राम भी आए थे गया
पितरों के तर्पण और श्राद्धकर्म के लिए गया पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान राम अपने पिता दशरथ के पिंडदान के लिए माता सीता के साथ यहां थे. जिस समय राजा दशरथ कि मृत्यु हुई थी भगवान राम वनवास में थे. भगवान राम राजा दशरथ के पिंडदान के लिए ही गया के मोक्षधाम में पहुंचे थे और अपने पिता दशरथ का पिंडदान कर उन्हें मुक्ति दी थी.