पटना : नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने लोहार जाति को महादलितों का दर्जा दिलाने के लिए एक बार फिर कोशिश की है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के पास लोहारों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए प्रस्ताव भेजा है. सामान्य प्रशासन ने भारत सरकार के जनजाति मंत्रालय को चिट्टी लिखी है. अनुसूचित जाति का दर्जा देने पर विचार के लिए यह पत्र लिखा गया है.


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बिहार सरकार ने लोहार जाति को आर्थिक समाजिक उन्नयन के लिए यह मांग दुहराई है. ज्ञात हो कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के फैसले को इससे पहले दो बार खारिज कर चुकी है. बिहार सरकार इससे पहले भी दो बार इथनोग्राफिक रिपोर्ट के साथ अपना प्रस्ताव भेजी थी.


बिहार सरकार के इस मांग पर सियासत भी शुरु हो गई है. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का कहना है कि सरकार लोहार जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के लिए दृढ़ संकल्पित है. जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 'सबका साथ, सबका विकास' की अवधारणा से शासन करते हैं. जिन समुदाय को जो जरूरत है उसके हिसाब से किया गया है. यह मांग आर्थिक सामाजिक उत्थान के लिए जरूरी है. केंद्र सरकार जरूर इसपर विचार करेगी.


पूरे मामले पर विपक्ष एनडीए को घेर रही है. सरकार के इस पहले को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने चुनावी स्टैंड बताया है. आरजेडी नेता भाई बीरेन्द्र ने कहा है कि एनडीए सरकार आरक्षण विरोधी है. डबल इंजन की सरकार में सबकुछ धीमा है.