आशुतोष चन्द्रा/पटनाः बिहार कांग्रेस अब न तो याचक की भूमिका में रहेगी और न ही टिकट के मसले पर सहयोगियों के सामने झुकेगी. ये दावा है बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष मदन मोहन झा का है. उन्होंने शुक्रवार को अपने कार्यकारी अध्यक्षों के साथ पदभार ग्रहण किया. मदन मोहन झा ने दावा किया है कि कांग्रेस अब मजबूत होगी. राहुल गांधी की नई टीम ऐसी बनाई है कि विवादों का कहीं कोई सवाल ही नहीं उठता. लेकिन नए अध्यक्ष के स्वागत समारोह से कई नेताओं की गैरमौजूदगी ने ये साबित कर दिया कि मदन मोहन झा को कांग्रेस आलाकमान ने कांटों भरा ताज पहना दिया है. उन्हें अब अपने सहयोगी दलों को साधने के साथ साथ पार्टी के नेताओं को भी साधना पडेगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

नए अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष के स्वागत में शुक्रवार को सदाकत आश्रम गुलजार नजर आया. अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष को सम्मानित करने के लिए पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और जिलों के कार्यकर्ता पहुंचे थे. लेकिन जिन्हें स्वागत समारोह में रहना था वो खुद कार्यक्रम से गायब नजर आए. कौकब कादरी, सदानंद सिंह, अवधेश सिंह, प्रेमचन्द्र मिश्रा, चंदन बागची जैसे नेता कार्यक्रम से नदारद रहे. इतना ही नहीं बिहार कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल और प्रभारी सचिव राजेश लिलौठिया भी कार्यक्रम में नहीं पहुंचे. उनकी कमी को पूरा करने के लिए प्रभारी सचिव वीरेन्द्र सिंह राठौर को स्वागत समारोह में आना पडा. हलांकि कार्यक्रम में मौजूद पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा ने भी संकेत के लहजे में नये अध्यक्ष को ये समझा दिया कि पार्टी के 5 प्रतिशत लोगों की चिंता करने की बजाय उन्हें पार्टी के 95 फीसदी कार्यकर्ताओं की चिंता करनी चाहिए जो कांग्रेस की रीढ हैं.



स्वागत समारोह के दौरान कांग्रेस की कमजोरी और महागठबंधन में कांग्रेस की हैसियत पर भी चर्चा हुई. पार्टी के नये कार्यकारी अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह धीरज ने मामले पर खुलकर बोला. धीरज ने कहा कि पार्टी में अब न तो ब्लाक अध्यक्ष बिकेगा और न ही पार्टी के डेलीगेट्स बिकेंगे. पार्टी अलायंस करेगी लेकिन चुनाव में हमारा कौन होगा ये हम तय करेंगे न कि हमारा सहयोगी दल. धीरज ने तो यहां तक कह दिया कि गठबंधन हमारी मजबूरी है.


पार्टी के सांसद अखिलेश सिंह भी श्यामसुंदर सिंह धीरज के बयान से सहमत नजर आए. अखिलेश ने भी भरी सभा में कह दिया कि जिस सीट पर हमारा दावा बनता है उस सीट को लेकर पार्टी कभी पीछे नहीं हटेगी. हलांकि उन्होंने कार्यकर्ताओं को ये समझाने की जरुर कोशिश की कि केन्द्र में सत्ता कांग्रेस के हाथों में ही आएगी. इसलिए सहयोगी दलों के उम्मीदवार को भी जिताने की कोशिश होनी चहिए.


नयी टीम के स्वागत समारोह में उभरी तस्वीर को नये अध्यक्ष मदन मोहन झा भी भली भांति समझ रहे थे. यही वजह रही कि मदन मोहन झा ने भरी सभा में ये कहकर विवाद शांत करने की कोशिश की कि राहुल गांधी ने ऐसी टीम बनायी है कि विवाद का कोई सवाल ही नहीं उठता. हलांकि उन्होंने ये दावा भी किया कि कांग्रेस अब याचक की भूमिका में नहीं रहेगी. लेकिन इसके लिए खुद को मजबूत करने की भी जरुरत होगी.


सदाकत आश्रम में हुए स्वागत समारोह ने ये संकेत दे दिये हैं कि मदन मोहन झा के सामने पार्टी का आंतरिक कलह खत्म करना सबसे बडी चुनौती बन गयी है. लेकिन इससे अलग कांग्रेसी नेताओं के लिए अच्छे संकेत ये हैं कि पार्टी लोकसभा चुनाव में टिकट के मसले पर अपने सहयोगी दलों के सामने इसबार झुकने को तैयार नहीं हैं.