Patna: अमूमन हम लोग खेल-खेल में कहते हैं आओ चलो कैरम बोर्ड बोर्ड खेलते हैं. और फिर हम अपने दोस्तों के साथ कैरम बोर्ड खेलने लगते हैं. लेकिन राजा महाराजाओं के द्वारा शौकिया तौर पर खेले जाने वाला एक कैरम बोर्ड गेम अचानक ही भारत में क्रिकेट, हॉकी, बैडमिंटन फुटबॉल जैसे गेमों के बीच में भी में प्रसिद्ध हो गया. इसे भारत के खेल पटल पर लाने का श्रेय जाता है बिहार की लाडली रश्मि कुमारी को.


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वहीं, रश्मि कुमारी जो आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है. इन्होंने भारत जहां लोग क्रिकेट के दीवाने हैं, वहां  रश्मि ने अपनी पहचान बनाने की शुरुआत 1992 से किया था. पहले जिला स्तर पर खेल कर पटना जैसे शहर में नाम कमाया, उसके बाद रश्मि कुमारी ने इस खेल में अपना करियर बनाने का ठान लिया. जिसका उन्हें नतीजा कुछ ही समय में मिलने लगेगा, जब उन्होंने एक के बाद एक न जाने कितने राज्य में आयोजित होने वाले प्रतियोगिता में कैरम का खिताब जीता.


इधर, रश्मि कुमारी ने 1997 में सब जूनियर का खिताब जीता,जबकि जूनियर स्तर पर फरीदाबाद में आयोजित आयोजित हुए टूर्नामेंट में खिताब जीता उसके बाद नेशनल स्तर पर हुए टूर्नामेंट में रश्मि कुमारी ने 2004, 2005 ,2007 ,के बाद 2010 से 2014 तक लगातार खिताब जीते.


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वहीं, रश्मि कोई सामान्य खिलाड़ी थी नहीं जो सिर्फ नेशनल स्तर पर खिताब जीतकर संतुष्ट हो जाती. Rashmi kumari के इरादे कुछ और थें. उन्होंने पहले सन 1999 में मलेशिया ओपन का खिताब जीता. उसके बाद दिल्ली में आयोजित हुए तीसरे विश्व महिला कैरम चैंपियनशिप का खिताब जीता. उसके बाद ठीक अगले साल यानी 2001 ईस्वी में इंग्लैंड में हुए पहले वर्ल्ड कप का खिताब जीता. बिहार जैसे कम सुविधा वाले राज्य से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा दिखा रही रश्मि कुमारी यही नहीं रुकने वाली थी. उन्होंने 10वें, 15 वें और 17 वें सार्क देशों के बीच खेले जाने वाले कैरम चैंपियनशिप का खिताब जीता. वहीं, पांचवें और छठे आईसीएफ कप कैरम चैंपियनशिप का भी खिताब क्रमशः 2008 और 2012 में जीता.


Rashmi Kumari का कैरम के प्रति इतना जुनून था जैसे मानो उन्होंने ठान लिया था कि हमें कैरम का कोई भी किताब हर हाल में जीतना ही है. तभी उन्होंने 2007 ईस्वी में दूसरे एशियाई कैरम चैंपियनशिप का खिताब जीता, तो ठीक अगले साल ही तीसरे एशियन कैरम चैंपियनशिप का खिताब भी जीता, उसके बाद 2013 में आयोजित हुए पास में एशियन कैरम चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया.


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इधर, बिहार की लाडली इतने सारे खिताब जीतने के बावजूद भी कहां संतुष्ट होने वाली थी. रश्मि ने सन 2012 श्रीलंका में आयोजित हुए छठे विश्व कैरम चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया. लेकिन एक कहावत है कि जब शेर के मुंह में खून लग जाता है तो शिकार करना उसकी आदत में शुमार हो जाता है. ये कहावत रश्मि कुमारी ने फिर से साबित किया 2014 में, जब मालदीप में आयोजित हुए चौथे वर्ल्ड कप कैरम चैंपियनशिप का खिताब एक बार फिर से अपने नाम किया.


वहीं, Rashmi Kumari उन भाग्यशाली खिलाड़ियों में शामिल है जिन्होंने इस खेल के सफर को अकेले से तय नहीं किया, बल्कि रश्मि कुमारी को सरकार की तरफ से हरसंभव सहायता मिला. चाहे उसे टूर्नामेंट में भागीदारी के लिए पैसों की जरूरत हो, प्रायोजक की जरूरत हो या जब उन्होंने टूर्नामेंट जीते तो रश्मि कुमारी को सरकार की तरफ से एक के बाद एक न जाने कितने पुरस्कारों से नवाजा गया.कैरम में शानदार खेल का प्रदर्शन करने वाली रश्मि कुमारी को 1995, 1996, 1997 में अंबेडकर स्पोर्ट्स अवार्ड से सम्मानित किया गया वहीं सन 1999 ईस्वी में स्वामी विवेकानंद यूथ अवार्ड से नवाजा गया. वहीं, बिहार सरकार स्पोर्ट्स अथॉरिटी की ओर से न जाने कितनी बार फैसिलिटेट किया गया.


वर्तमान में खेलों में अपना नाम कमाने वाली रश्मि कुमारी दिल्ली में ओएनजीसी कंपनी में एचआर एग्जीक्यूटिव के पद पर तैनात है. साथ ही 1992 में कैरम में अपना करियर बनाने वाली रश्मि कुमारी दुनिया के 6 बेहतरीन कैरम प्लेयरों में नाम आता है. लेकिन ये रश्मि कुमारी का प्रतिभा का ही कमाल था कि आज बिहार में कैरम जैसे खेल जिसे लोग मनोरंजन के तौर पर खेल खेलते हैं, लोग अब सीरियस होकर उस में करियर बनाने की भी सोचने लगे हैं. साथ ही साथ सरकार ने इसके लिए खिलाड़ियों को सुविधा भी मुहैया कराने लगी है. वहीं, कैरम की बढ़ती लोकप्रियता का ही नतीजा है कि आज कैरम दुनिया के कई देशों में खेला जाता है और दुनिया के कई खिलाड़ी इसको गंभीरता से लेकर अपना करियर बनाने में लगे हुए हैं.